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परम श्रद्धेय आचार्य श्री हीराचन्द्र जी म. सा.
एवं उपाध्याय श्री मानचन्द्र जी म. सा. के आज्ञानुवर्ती संत-सतीगरणों के स्वीकृत चातुर्मास
१. बालोतरा-प्राचार्य श्री हीराचन्द्र जी म. सा. आदि ठाणा। २. भीलवाड़ा-उपाध्याय श्री मानचन्द्र जी म. सा. आदि ठाणा। ३. गोटन-रोचक व्याख्याता श्री ज्ञानमुनि जी म. सा. आदि ठाणा । ४. जोधपुर-प्रवर्तिनी महासती श्री बदनकंवर जी म. सा. आदि ठाणा ।
५. धुन्धाड़ा-सरल हृदया महासती श्री सायरकंवर जी म. सा. आदि ठाणा।
६. हिण्डौन-शासन प्रभाविका महासती श्री मैनासुन्दरी जी म. सा, आदि ठाणा।
७. बडू-सेवाभावी महासती श्री संतोषकंवर जी म. सा. आदि ठाणा। ८. किशनगढ़-महासती श्री शांतिकंवर जी म. सा. आदि ठाणा । ६. खोह-व्याख्यात्री महासती श्री तेजकंवर जी म. सा. आदि ठाणा । १०. खण्डप-विदुषी महासती श्री सुशीलाकंवर जी म. सा. आदि ठाणा ।
'श्री जैन रत्न पुस्तक कोष' का शुभारम्भ परम श्रद्धेय आचार्य श्री हस्तीमल जी म. सा. के सदुपदेश से प्रेरित होकर युवक बन्धुओं में निर्व्यसनता, भातृत्व एवं संघसेवा की भावना विकसित करने हेतु अ. भा. श्री जैन रत्न युवक संघ की स्थापना की गई थी। नवम्बर-६१ में जोधपुर में सम्पन्न संघ के प्रथम अधिवेशन में लिये गये निर्णय के अनुसार 'श्री जैन रत्न पुस्तक कोष' की स्थापना कर नये सत्र से पुस्तकें उपलब्ध कराने हेतु निम्न व्यवस्था की गई है :
१. छात्रगण सभी तरह के पाठ्यक्रमों हेतु पाठ्यपुस्तकें, अंकित मूल्य के ८५% के बराबर प्रतिभूति राशि जमा कराकर प्राप्त कर सकेंगे।
२. परीक्षा पास करने के पश्चात् छात्र ये पुस्तकें लौटा सकेगा, उस समय पुस्तकों के अंकित मूल्य के ८०% के बराबर राशि आगे अध्ययन हेतु चाही गई पुस्तकों हेतु समायोजित की जा सकेगी अथवा पुनः लौटाई जा सकेगी।
३. जरूरतमन्द होनहार छात्रों के लिये प्रतिभूति राशि की व्यवस्था प्र. भा. श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ-स्वधर्मी वात्सल्य कोष से की जा सकेगी।
४. यह योजना सभी जैन भाई,बहिनों के लिये है। नियमावली व आवेदन-प्रपत्र के लिए निम्न पते पर सम्पर्क करें :
श्री राजेन्द्र चौपड़ा, (टेलीफोन-नि. २२६५६) संयोजक-श्री जैन रत्न पुस्तक कोष, अ. भा. श्री जैन रत्न युवक संघ, घोड़ों का चौक, जोधपुर ।
निवेदक : अमिताभ हीरावत
प्रानन्द चोपड़ा
गोपालराज प्रबानी अध्यक्ष कार्याध्यक्ष
सचिव
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