SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 357
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ • ३३८ • व्यक्तित्व और कृतित्व चारों ओर से भित्ति से घिरे हुए बाड़े में, गली या घरों में इतने क्षेत्र में भिक्षा मिले तो लेना, इत्यादि प्रकार से क्षेत्र अवमोदर्य होता है। फिर प्रकारान्तर से बतलाते हैं : पेडा य अद्धपेडा, गोमुत्ति पयंग-वीहिया चेव । सम्बुक्कावट्टागन्तु, पच्चागया छट्ठा ।।१६।। पेटी के समान चतुष्कोण गृह समूह में भिक्षा करना इसकी पेटा, अर्ध चतुष्कोण में भ्रमण करना अर्ध पेटा, वाम से दक्षिण और दक्षिण से वाम इस प्रकार वक्रगति से भिक्षा करना गोमूत्रिका और पतंग की तरह कुछ घर छोड़ कर दूसरे घर में भिक्षा करना पतंग वीथिका, शंख के समान आवर्तवाली शंखावर्त भिक्षा, वृत्ताकार भ्रमण वाली भिक्षा, और लम्बे जाकर पीछे आते हुए लेना यह छठे प्रकार की भिक्षा है। अब काल तथा भाव अवमोदर्य का विचार करते हैं : दिवसस्स पोरुसीणं, चउण्हंपि उ जत्तिनो भवे कालो। एवं चरमाणो खलु, कालोमाणं मुणेयव्वं ।।२०।। दिन के चारों पौरुषी में जितने काल का अभिग्रह किया है, उसके अनुसार नियत समय में भिक्षा करना काल अवमोदयं समझना चाहिये । फिर अहवा तइयाए पोरिसीए, ऊरणाइ घाससेसन्तो। चऊ भागूणाए वा, एवं कालेण ऊ भवे ।।२१।। प्रकारान्तर से कहते हैं:-तीसरे पौरुषी के कुछ कम रहते अथवा चतुर्थ भाग शेष रहने पर भिक्षा करना काल अवमोदर्य कहा गया है। अभिग्रही का नियम होता है कि नियत द्रव्य, क्षेत्र, काल या भाव के अनुसार भिक्षा मिले तो ही ग्रहण करना अन्यथा नहीं-अतः यह तप है। भाव अवमोदर्य का स्वरूप कहते हैं: इत्थी वा पुरिसो वा, अलंकिग्रो वा नलंकिग्रो वावि । अन्नयरवयत्थो वा, अन्नयरेणं व वत्थेणं ।।२२।। स्त्री हो अथवा पुरुष, अलंकृत हो या अलंकार रहित हो, बाल्य-तरुणादि किसी वय और श्वेत-पीतादि अन्यतर वस्त्रधारी हो। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003843
Book TitleJinvani Special issue on Acharya Hastimalji Vyaktitva evam Krutitva Visheshank 1992
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarendra Bhanavat, Shanta Bhanavat
PublisherSamyag Gyan Pracharak Mandal
Publication Year1992
Total Pages378
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy