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• व्यक्तित्व एवं कृतित्व
श्री शान्तिनाथ भगवान की प्रार्थना [तर्ज-शिव सुख पाना हो तो प्यारे त्यागी बनो] ॐ शान्ति शान्ति शान्ति, सब मिल शान्ति कहो ।।टेर।। विश्वसेन अचिरा के नन्दन, सुमिरन है सब दुःख निकंदन। अहो रात्रि वंदन हो, सब मिल शान्ति कहो ॥ॐ॥१।। भीतर शान्ति बाहिर शान्ति, तुझमें शान्ति मुझमें शान्ति । सबमें शान्ति बसाओ, सब मिल शान्ति कहो ॥ॐ॥२॥ विषय कषाय को दूर निवारो, काम क्रोध से करो किनारो। शान्ति साधना यों हो, सब मिल शान्ति कहो ॥ॐ।।३।। शान्ति नाम जो जपते भाई, मन विशुद्ध हिय धीरज लाई। अतुल शान्ति उसे हो, सब मिल शान्ति कहो ॥ॐ।।४।। प्रातः समय जो धर्मस्थान में, शान्ति पाठ करते मृदु स्वर में। उनको दुःख नहीं हो, सब मिल शान्ति कहो ॥ॐ॥५।। शान्ति प्रभ-सम समदर्शी हो, करें विश्व-हित जो शक्ति हो। 'गजमुनि' सदा विजय हो, सब मिल शान्ति कहो ॥ॐ।।६।।
पार्श्व-महिमा (तर्ज-शिवपुर जाने वाले तुमको.......) पार्श्व जिनेश्वर प्यारा (हमारा) तुमको कोटि प्रणाम २ ॥टेर।। अश्वसेन कुल कमल दिवाकर, वामादे मन कुमुद निशाकर ।
भक्त हृदय उजियारा ॥तुमको।।१।। जड़ जग में बेभान बना नर, आत्म तत्त्व नहीं समझे पामर ।
उनका करो सुधारा ।तुमको।।२।।
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