________________
तुलना
६॥३१.-प्रमाणनय० ६५६. ६।३३.-प्रमाणनय० ६१५७. ६।३५.-न्यायविनि० का० ३७०. ६।४०.-न्यायप्र० पृ. ५५ २०. न्यायबि० पृ० ११९. न्याया० का० २४.
न्यायविनि० का० ३८०. प्रमाणनयं० ६।५८. प्रमाणमी० २।१।२२. ६।४१.-न्यायप्र० पृ० ६ पं० १. न्यायबि. पृ. १२२. प्रमाणनय० ६६०
६२. प्रमाणमी० २।१।२३. ६।४२.-न्यायप्र० पृ. ६. पं० १२. न्यायबि० पृ० १२४. प्रमाणनय० ६६८.
प्रमाणमी. २।१।२६. ६१४४.-न्यायप्र० पृ० ६ पं० १४. न्यायबि० पृ० १२५. न्याया० का० २५.
प्रमाणनय० ६१६९. प्रमाणमी० २।१।२४. ६।४५.-न्यायप्र० पृ. ७ पं० ७. न्यायबि० पृ. १३०. प्रमाणनय० ६१७९.
प्रमाणमी० २।१।२६. ६५१.--प्रमाणनय०६८३. ६।५२.-प्रमाणनय० ६१८४. ६।५५.-प्रमाणनय० ६८५. ६।६१.-प्रमाणनय० ६.८६. ६६६.-प्रमाणनय० ६८७.
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org