________________
शुद्धि-पत्र
হাস
समभते अायी विकासक ऋषियो उच्चारण पढता पड़ता रशाल अब्धयु आवश्यको डीहि० प्रजापति
शत्रुओं नाक समझते
आर्य विकासके ऋषियों उच्चारण पड़ता पढ़ता मशाल अध्वर्यु श्रावश्यक प्रीहि प्रजापति अमृत
और हिं० रि० ई० वे पुनर्जन्म सबको प्राचार्य
अमत
छौर हि० रि० ई० वे० पुनजन्म सबका अचार्य
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org