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पर्यन्त मिथ्या चलता । नाम इस
श्रुतपरिचय
६८७ नन्दि सूत्र और अनुयोगद्वार सूत्र में मिथ्या श्रुतोंके नाम दिये हैं । अनुयोग' द्वार में तो भारत रामायणसे लेकर सांगोपांग चार वेद पर्यन्त मिथ्या श्रुत कहा है। किन्तु नन्दि' में भारत रामायणसे लेकर वेद पर्यन्त मिथ्याश्रुतकी लम्बी तालिका दी है जिनमेंसे कुछ नामोंका पता नहीं चलता। टीकाकार ने भी उनका कोई खुलासा नहीं किया। कुछ नाम इस प्रकार हैं
कोडिल्लय ( कौटिलीय अर्थशास्त्र ), घोडगमुह ( वात्स्यायनके पूर्वज घोटक मुखका कामसूत्र ), वइसेसिअ (वैशेषिक दर्शन ), बुद्ध वयण ( बौद्ध सिद्धान्त ), तेरासिय ( त्रैराशिकमत ) काविलिअं ( कपिल दर्शन), लोगायय ( लोकायत दर्शन), सहि तंत ( षष्ठितंत्र ), माठर (माठर प्रणीत वृत्ति ), पुराग, व्याकरण, भागवत, पातञ्जलि, गणित, नाटक अथवा बहत्तर कलाएं और सांगोपांग चार वेद ।
नन्दी और अनुयोग द्वार दोनों में ज्ञानकी चर्चा है। उसमें जो अन्तर है उसका स्पष्टीकरण प्रारम्भ में कर दिया गया है।
आवश्यक प्रसंग वश नन्दि और अनुयोग द्वारका परिचय
१-'भारहं रामायणं जाव चत्तारि वेश्रा सांगोवंगा से तं लोइए श्रागमे ।'-अनु०, पृ. २१८ ।
२-'भारहं रामायणं भीमासुरुक्खं कोडिल्लयं सगडभद्दिाश्रो खोड (घोडग) मुहं कप्पासिनं नागसुहुमं कणगसत्तरी वइसेसिडे बुद्धवयणं तेरासिधे काविलियं लोगाययं सहितंतं माढरं पुराणं वागरणं भागवं पायंजली पुस्सदेवयं लेहं गणिग्रं सउणरुग्रं नाडयाई, अहवा वावत्तरी फलानो चत्तारि अ वेश्रा संगोवंगा'..."से तं मिच्छा सुझं ॥-नंदि० (सू० ४२ )।
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