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________________ श्रुतपरिचय ६०३ जुलते जिन नामोंके सम्बन्धमें हमें जानकारी प्राप्त हो सकी, उन्हें दिया जाता है। अम्बरीश-अंगिरा कुलके मंत्रदृष्टाओंमें अम्बरीश एक क्षत्रीय कुलोत्पन्न मंत्रदृष्टा हुआ है । राजा अम्बरीश बहुत पुराना व्यक्ति माना जाता है । महाभारतमेंभी इसका नाम आया है। कौटिल्यके अर्थशास्त्र में ( १-६) भी उसका नाम आया है। स्वैदायन-शतपथमें शौनक स्वैदायन' नामक आचार्यका नाम आता है। चैकितायन-वृहदारण्यकमें लिखा है कि शिलक शालावत्य, चैकितायन दाल्भ्य, और प्रवाहण जाबालि ये तीनों उद्रीथमे कुशल थे। प्रवाहण जावालिका चैकितायनदाल्भ्य से संवाद हुआ था । वसु-व्यास मुनिसे ऋग्वेद पढ़नेवाले शिष्यका नाम पैल था। महाभारत में लिखा है कि युधिष्ठिरके राजसूय यज्ञके समय व्यास ऋत्विक कर्मके लिये एक पैल को साथ लाये थे । यह पैल वसु का पुत्र था। पुराणोंमें लिखा है कि व्याससे ऋग्वेद पढ़कर पैलने उसकी दो शाखाएं करदों। एकको उसने वाष्कल को पढ़ाया और दूसरीको इन्दुप्रमति को । इस प्रमतिको वेदवेदांगपारग कहा है। ब्रह्माण्डपुराणके तीसरे पादमें लिखा है १-'स्वैदायनेनेति । शोनको ह स्वैदायन श्रास ।'-शतपथ० ११-४-१-१ । २-'त्रयो होद्गीथे कुशला बभुवुः । शिलकः शालावत्यः । चैकितायनो दाल्भ्यः । प्रवाहणो जैवलिः।' वृह० ६-२-३ । ३-- पैलो होता वसोः पुत्रो धौम्येन सहितोऽभवत् ।।' ३५ ॥-म० भा०, सभापर्व, अ० ३६ । Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003837
Book TitleJain Sahitya ka Itihas Purv Pithika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKailashchandra Shastri
PublisherGaneshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
Publication Year
Total Pages778
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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