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________________ प्राचार्य काल गणना ३६७ ऊपरकी कथाओंसे यह स्पष्ट है कि शकटाल महापद्मनन्द अथवा अंतिम नन्दका मंत्री था। अंतिम शैशुनाक राजाका उत्तराधिकारी महापद्मनन्द था। पुराणोंके अनुसार वह महानन्दीका शूद्रासे पैदा हुआ बेटा था। हेमचन्द्राचार्यने उसे (परि० पर्व०, सर्ग ६, श्लो० २०२) नापितकुमार कहा है । एक यूनानी लेखकने लिखा है कि वह एक नाई था, किंतु रानी उसपर आसक्त हो गई थी और धीरे धीरे वह राजकुमारोंका अभिभावक बनकर अंतमें उन्हें मारकर स्वयं राजा बन बैठा। उसका दूसरा नाम उग्रसेन था । महापद्मको पुराणोंमें 'सर्वक्षत्रान्तकृत्'-सब क्षत्रियोंका उत्पाटक कहा है। महापद्मनन्दके बेटेने केवल १२ वर्ष राज्य किय । उसके ही समयमें सिकंदरने भारतवर्षपर चढ़ाई की और चन्द्रगुप्त मौर्यने नन्दवंशका राज्य हस्तगत किया। (भा० इ० रू०, पृ० ५२८)। ___ गुणाढ्यकी वृहत्कथा तथा जैन वृहत्कथाकोशको कथामें बतलाया है कि जब वररुचि वगैरह नन्दके पास पहुंचे तो उसकी मृत्यु हो गई। इससे ऐसा अनुमान करना संभव है कि शकटालके सामने ही महापद्मनन्दकी मृत्यु हो गई थी और उसके उत्तराधिकारी अंतिम नन्दका मंत्रा भी शकटाल था क्योंकि उसे नौवें अर्थात् अन्तिम नन्दका मंत्री भी कहा है। महापद्मनन्दके समय ही चाणक्यके अपमानवाली घटना घटी, जिसमें शकटालका या उसके अन्य सहयोगीका हाथ था। महापद्मके मर जानेपर उसके पुत्रका बारह वर्ष तक ही राज्य कर सकना उसी षड्यंत्रका परिणाम था जिसका सूत्रपात महपद्मनन्दके जीवनकालमें हुआ था। शकटालके पुत्र स्थूलभद्रका नाम तो क्या, संकेत तक भी दिगम्बर जैन ग्रन्थोंमें तथा जैनेतर साहित्यमें नहीं है। फिर भी Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003837
Book TitleJain Sahitya ka Itihas Purv Pithika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKailashchandra Shastri
PublisherGaneshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
Publication Year
Total Pages778
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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