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वीर निर्वाण सम्वत्
३१३ पालकका राज्यकाल ६० वर्ष बतलाकर लिखा है कि पाटलीपुत्रमें कुणिकपुत्र उदायीको किसीने मार दिया और इस तरह महावीर निर्वाणसे ६० वर्षके पश्चात् नन्द राजा हुआ। तिलोयपएणति
और जिनसेनके हरिवंशके अनुसार पालकके पश्चात् १५५ वर्ष तक विजय वंशका राज्य रहा। तत्पश्चात् मुरुण्डों ( मौर्यो) का राज्य हुआ। और तित्थोगाली पइन्नय, तीर्थोद्धार प्रकरण तथा विचार श्रेणीके अनुसार पालकके पश्चात् १५५ वर्ष तक नन्दोंका राज्य हुआ, तत्पश्चात मौर्यों का राज्य हुआ । इससे स्पष्ट है कि हेमचन्द्र तथा अन्य जैन ग्रन्थकारोंमें महावीर निर्वाण और चन्द्रगुप्त मौर्य के अन्तर कालको लेकर ६० वर्षका मत भेद है। ___किन्तु उक्त सभी जैन ग्रन्थकार, जिनमें हेमचन्द्र भी हैं महाबीरके निर्वाणसे ६० वर्षके पश्चात् नन्दवंशका राज्यारम्भ मानते हैं। अतः नन्दवंशके राज्यारम्भ कालको लेकर उनमें कोई मतभेद नहीं है । मतभेद है नन्दवंशके राज्यकालको लेकर। अन्य जैन ग्रन्थकार नन्दवंशका राज्य काल १५५ वर्ष बतलाते हैं । तब हेमचन्द्र महावीर निर्वाणसे लेकर चन्द्रगुप्तमौर्य के राजाभिषेक तकका काल १५५ वर्ष बतलाते हैं । अतः १५५ में से ६० वर्ष कम कर देने पर हेमचन्द्रके मतानुसार नन्दवंशका राज्यकाल ६५ वर्ष होता है ।
बौद्ध कालगणना बौद्धग्रन्थ दीपवंश और महावंशमें अजातशत्रुसे लेकर शैशुनाग, नन्द और मौर्य राजाओंके राज्यकालकी अवधि दी है। पाटलीपुत्रेऽपुत्रे कुणिकपुत्रे उदायिनृपे उदायि नृपमारकेण हते "नन्दो राज्येऽभिषिक्तः' उक्त च परिशिष्टपर्वाण-'अनन्तरं वर्धमानस्वामिनिर्वाणवासरात् । गतायां षष्ठिवत्सर्यामेष नन्दोऽभवन्नृपः ।।'-वि० श्रे०।
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