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जै० सा० इ०-पूर्व पीठिका नाम जन्म बोधिलाभ निर्वाण जायसवाल मुनि
कल्याणविजय गोशालक x ५९६ ५४३
ई० पू० ई० पू० श्रेणिक ६१६ राजगद्दी ५५२ ६०१-५५२ ६०१-५५२
ई० पू० ६०० ई० पू० ई० पू० ई० पू० ई० पू०
राज्यकाल अभयकुमार ६०० ई० पू० अजातशत्रु ५७५ ५५२ २० ५५२-५१८ ५५२-५१८
ई० पू० ई० पू० ई० पू० राज्यकाल उक्त संगतिके साथ जो एक बड़ी विसंगति सामने आती है वह है बौद्ध पालि साहित्यमें बुद्धके जीवनकालमें महावीरका पावामें निर्वाण होनेका उल्लेख ।
मज्झिमनिकायके सामगामसुत्त (पृ० ४४१ ) में लिखा है
'एक समय भगवान् शाक्य देशमें सामगाममें बिहार करते थे। उस समय निगंठ नाटपुत्त अभी अभी पावामें मरे थे। उनके मरने पर निगंठ लोग दो भाग हो भंडन कलह विवाद करते एक दूसरेको मुखरूपी शक्तिसे छेदते बिहरते थे."आदि ।'
म०नि० के उपालिसुत्तमें (पृष्ठ २२२ में लिखा है कि उपालि नातपुत्तका अनुयायी था। वह बुद्धके साथ वाद करनेके लिये गया। किन्तु उसका परिणाम उल्टा ही हुआ, बुद्धने उसे अपना शिष्य बना लिया। उसके पश्चात् उपालिने अपने घर जाकर द्वारपालको यह आदेश दे दिया कि निग्रन्थोंको अन्दर नहीं आने देना। पीछे जब महाबीर भगवान अपनी शिष्य मण्डलीके साथ उपालिके घर गये तो उपालिके मुखसे बुद्धकी प्रशंसा सुनकर वह
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