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भगवान् महावीर
२३१ ब्राह्मण, क्षत्रिय और बनिये रहते थे। अब वे तीनों स्थान वसाढ़, वासुकुंड और और बनिया नामक गाँव से पहचाने जाते हैं।
मातृकुल तथा पितृकुल यदि, जैसा कि प्राप्त उल्लेखोंके आधार पर अनुमान किया जाता है, कुण्डपुर वैशालीका एक उपनगर था, तो उसके स्वामी सिध्दार्थ, जो भगवान महावीरके पिता थे, अवश्य ही कोई बहुत बड़े राजा नहीं होने चाहिएँ। असलमें उस समय विदेहमें राजतंत्र नहीं था। किन्तु लिच्छवियों का गणतंत्र था। सबगण मिलकर अपना एक मुखिया चुन लेते थे और वही गणतंत्रका प्रधान होता था। उस समय उस लिच्छवियोंके गणतंत्रका प्रधान राजा चेटक था और दिगम्बर' उल्लेखोंके अनुसार राजा चेटक की पुत्री और श्वेताम्बरीय' उल्लेखोंके अनुसार राजा चेटककी बहिन त्रिशला या प्रियकारिणीका विवाह सिद्धार्थसे हुआ था। इस लिये सिद्धार्थ भले ही बड़े राजा न रहे हों, किन्तु उस गणतंत्रमें उनका एक प्रभावशाली व्यक्ति होना स्पष्ट है।
बौद्ध ग्रन्थोंमें यद्यपि वैशाली नरेश चेटकका निर्देश नहीं है। किन्तु वैशालीका निर्देश बहुतायतसे पाया जाता
१-'हम लोग लिच्छवि गण राजाओंके राज्यमें बसते हैं ।' बु० च०, पृ० ३१५१ २-'चेटकाख्योऽतिविख्यातो विनीतः परमार्हतः ॥३॥ "सप्तर्धयो वा पुरु यश्च ज्यायसी प्रियकारिणी ।'-उ० पु०, पर्व० ७५। ३-'समणे भगवौं महावीरे भगवश्रो माया चेडकस्य भगिणी भोई'-श्रा० चू, १ अ० ।
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