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प्राचीन स्थितिका अन्वेषण
१३३ नारायण नाम प्रथम बार शतपथ ब्राह्मणमें पाया जाता है। किन्तु उसका विष्णुके साथ कोई सम्बन्ध नहीं है। तैत्तिरीय
आरण्यकमें विष्णुके साथ नारायणको सम्बद्ध कर दिया गया है। शिलालेखोंसे पता चलता है कि ईस्वी सन्के प्रारम्भसे बहुत पूर्व भागवतधर्म या भक्ति सम्प्रदाय मौजूद था तथा भागवत लोग वासुदेवके भक्त थे। ( अर्ली हि० वैष्ण०, पृ० २२-२३)।
किन्तु किसी संहिता; ब्राह्मण और प्राचीन उपनिषद में विष्णुका वासुदेव नाम नहीं मिलता। (अर्ली हि० वैष्ण, पृ० ३२) ___ हां, भगवद्गीतामें 'वृष्णीनां वासुदेवोऽस्मि' लिखकर वासुदेवको वृष्णिीकुलसे सम्बन्धित बतलाया है। महाभारतमें मथुराके यादव, अथवा वृष्णि अथवा सात्वत वंशके कृष्णको वासुदेव कहा है। अनेक • विद्वानोंका मत है कि कृष्ण वासुदेव मानव प्राणी नहीं था, किन्तु एक लौकिक देवता था, उसकी संस्कृतिको विष्णुके सिर लादकर वैष्णव धर्मको जन्म दिया गया। उदाहरणके लिये बर्थने 'भारतीय धर्म नामक अपनी पुस्तकमें लिखा है कि 'महाभारतमें विष्णका स्थान सर्वोच्च है जो कि वैदिक साहित्यमें नहीं है। किन्तु महाभारतसे विष्णुके साथ ही एक और नायक प्रकट होता है जिसे अवतार माना गया है, वह है मानवीय ईश्वर कृष्ण । वह व्यक्ति वेदोंके लिए एकदम अपरिचित है। यह निस्सन्देह एक लौकिक देवता है। इससे हम यह निष्कर्ष निकालते हैं कि विष्णुकी प्रधानता प्राप्ति और कृष्णके साथ उसकी एकरूपताके मध्य में अवश्य ही घनिष्ठ सम्बन्ध है। अब यह प्रश्न पैदा होता है कि क्या कृष्णको विष्णुके साथ इसलिये मिलाया गया कि विष्णुको सर्वोच्च स्थान प्राप्त हो चुका था अथवा ब्राह्मणीय देवता विष्णुकी
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