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________________ ३६ करणानुयोग प्रवेशिका दोइन्द्रिय जीवोंके स्पर्शन और रसना ये दो इन्द्रियाँ होती हैं। चींटी आदि तेइन्द्रिय जीवोंके स्पर्शन, रसना और घ्राण ये तीन इन्द्रियाँ होती हैं । भौंरा आदि चौइन्द्रिय जीवोंके स्पर्शन, रसना, घ्राण और चक्षु ये चार इन्द्रियाँ होती हैं । साँप, घोड़ा, मनुष्य आदि पञ्चेन्द्रिय जीवोंके पाँचों इन्द्रियाँ होती हैं । २२७. प्र० - एकेन्द्रिय आदिके कितने गुणस्थान होते हैं ? उ०- एकेन्द्रिय, दोइन्द्रिय, तेइन्द्रिय, चौइन्द्रिय और असंज्ञो पञ्चेन्द्रिय train एक मिथ्यादृष्टि गुणस्थान होता है । संज्ञो पञ्चेन्द्रियके चौदह गुणस्थान होते हैं । २२८. प्र०- -काय किसको कहते हैं ? उ०- त्रस स्थावर नामकर्मके उदयसे उत्पन्न हुई जीवको त्रस स्थावर पर्याय काय कहते हैं । २२६. प्र० - त्रस किसको कहते हैं ? उ०- त्रस नामकर्मके उदयसे दोइन्द्रिय, तेइन्द्रिय, चौइन्द्रिय और पञ्चेन्द्रियोंमें जन्म लेनेवाले जीवोंको त्रस कहते हैं । २३०. प्र० - स्थावर किसको कहते हैं ? उ०- स्थावर नामकर्मके उदयसे पृथिवी, जल, अग्नि, वायु और वनस्पतिमें जन्म लेनेवाले जीवोंको स्थावर कहते हैं । इसीसे स्थावर काय के पाँच भेद हैं-- पृथिवोकायिक, जलकायिक, तैजस्कायिक, वायुकायिक और वनस्पतिकायिक | २३१ प्र० - पृथिवीकायिक किसे कहते हैं ? उ०- पृथिवीरूप शरीरको पृथिवीकाय कहते हैं । वह जिनके पाया जाये उन जीवोंको पृथिवीकायिक कहते हैं अथवा जिन जीवोंके पृथिवोकाय नामकर्मका उदय है उन्हें पृथिवीकायिक कहते हैं । इसी तरह जलकायिक आदि भी जानना । २३२. प्र०- - बादर किसको कहते हैं ? उ०- जो अन्य पदार्थसे रुक जाय वा दूसरे पदार्थों को रोके, ऐसे स्थूल शरीरके धारी जीवोंको बादर कहते हैं । २३३. प्र० - सूक्ष्म किसको कहते हैं ? - जो न किसीसे रुके और न दूसरों को रोके, ऐसे सूक्ष्म शरीरके धारी जीवों को सूक्ष्म कहते हैं । २३४. प्र० -- वनस्पतिके कितने भेद हैं ? उ०- दो हैं - प्रत्येक और साधारण । उ० Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003835
Book TitleKarnanuyog Praveshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKailashchandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1987
Total Pages132
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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