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________________ विषयानुक्रमणी १५ ३०६ प्रश्नांक प्रश्नांक प्रमत्तसंयत गणस्थानका अन्तरकाल ४२६ भरत क्षेत्रमें परिवर्तन प्रमत्तसंयत गुणस्थान ११३ भवप्रत्यय अवधि प्रमत्तसंयत गुणस्थानमें भवप्रत्यय अवधि किसके ३१० कितने जीव ३६६ भवनवासी देव कहां रहते हैं प्रमत्तसंयत गुणस्थानमें बन्ध ६४५ भवनवासो देवके भेद प्रमत्तसंयत गुणस्थानमें बन्ध भवनवासो देवकी आयु व्युच्छिति ६४६ भव-विपाकी-स्वरूप ६२३ प्रमत्तसंयत गुणस्थानमें उदय ६७० भव-विपाको प्रकृतियां ६२४ प्रमत्तसंयत गुणस्थानमें भव्यमार्गणाके भेद ३४६ उदय व्युच्छित्ति ६७१ भव्य-अभव्यका स्वरूप ३५० प्रमत्तसंयत गुणस्थानमें सत्व ६६५ भव्य-अभव्यके गुणस्थान प्रमाणांगुल ३२ भागहार प्रमाणांगुलसे किसका माप भागहारोंका प्रमाण ५६७ ११४ भावप्राण १६० प्रमादके भेद भाववेद किस गुणस्थान तक २८२ प्ररूपणाका स्वरूप १०१ भाववेद-द्रव्यवेदमें असमानता २८१ प्रशस्त उपशम भावानुयोगमें किसका कथन ३६५ प्राण भाषापर्याप्ति १८७ १६३ प्राणके भेद १८८ भोगभूमि प्रायोग्यलब्धि ३६० भोगभूमि कितनी भोगभूमिज तियंञ्चके भेद । १५० ६७ ३५१ ३३ प्रमाद ११५ - - r WW फालि २८६ २६० २६५ मतिज्ञान मतिज्ञानके भेद ५३२ मतिज्ञानके विस्तारसे भेद ५३३ मध्यलोक २६६ मनुष्योंके नौ भेद २३२ मनुष्य कहां रहते हैं। ५०६ मनःपर्याप्ति २४५ मनःपर्ययज्ञान ३०५ मनःपर्ययज्ञानके भेद बन्ध बन्धके भेद बहु-बहुविध आदि बादरजीव बादर नामकर्म बादर और सूक्ष्मजीव बारहवें दृष्टिवादके भेद १५१ १७० १६४ ३१५ ३१६ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003835
Book TitleKarnanuyog Praveshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKailashchandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1987
Total Pages132
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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