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________________ करणानुयोग-प्रवेशिका हानिसे गुणित समय प्रबद्ध प्रमाण जानना। इतना ही प्रदेश सत्त्व एक जोवके होता है। ५७६. प्र०-स्थितिसत्त्व किसको कहते हैं ? । उ०-सत्तामें स्थित अनेक समयोंमें बंधी प्रकृतियोंकी स्थितिके सत्त्वको स्थितिसत्व कहते हैं। सो उन प्रकृतियोंके जिस समयप्रबद्धका एक निषेक ही सत्तामें स्थित है उसकी एक समय प्रमाण स्थिति सत्त्व है, जिसके दो निषेक सत्तामें स्थित हैं, उसका दो समय प्रमाण स्थितिसत्त्व है और जिस समयप्रबद्धका एक भी निषेक नहीं गला उसके प्रथमादि निषेकोंका क्रमसे एक दो आदि समय अधिक आबाधाकाल मात्र स्थितिसत्त्व जानना और अन्तिम निषेकका सम्पूर्ण स्थितिबन्ध प्रमाण स्थितिसत्त्व जानना। ५७७. प्र०-अनुभाग सस्व किसको कहते हैं ? उ०-उन अनेक समयोंमें बंधी हुई प्रकृतियोंका जो अनुभाग सत्तामें स्थित है उसे अनुभाग सत्त्व कहते हैं।। ५७८. प्र०-उदय किसको कहते हैं ? उ०—स्थिति पूरी होने पर कर्मके फल देनेको उदय कहते हैं। ५७९. प्र०-उदयके कितने भेद हैं ? उ०-चार भेद हैं-प्रकृति उदय, प्रदेश उदय, स्थिति उदय और अनुभाग उदय । मूल प्रकृति अथवा उत्तर प्रकृतिका उदय आना प्रकृति उदय है । उदय रूप प्रकृतिके परमाणुओंका फलोन्मुख होना प्रदेश उदय है, स्थितिका उदय होना स्थिति उदय है और अनुभागका उदय होना अनुभाग उदय है। ५८०. प्र०-उदोरणा किसको कहते हैं ? उ०-उदयावलीके बाहरके निषेकोंको उदयावलोके निषेकोंमें मिलाना अर्थात् जिस कर्मका उदयकाल नहीं आया उस कर्मको उदय कालमें ले आनेका नाम उदीरणा है। ५८१. प्र०-उदयावली किसको कहते हैं ? उ०-वर्तमान समयसे लगाकर एक आवली मात्र कालमें उदय आने योग्य निषेकोंको उदयावली कहते हैं। ५८२. प्र०-उत्कर्षण किसको कहते हैं ? उ०-स्थिति और अनुभागके बढ़नेको उत्कर्षण कहते हैं । ५८३. प्र०-स्थिति और अनुभागका उत्कर्षण किस प्रकार होता है ? उ०-थोड़े समयमें उदय आने योग्य नोचेके निषेकोंके परमाणुओंको Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003835
Book TitleKarnanuyog Praveshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKailashchandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1987
Total Pages132
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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