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चरणानुयोग-प्रवेशिका
उसके होनेपर मनुष्य कर्तव्य अकर्तव्यको भूल जाता है और उसके भूल जानेपर निःशंक होकर हिंसा करता है तथा मद्य स्वयं भी अनेक जीवोंकी योनि है | अतः मद्य पीनेसे उन सबका घात हो जाता है ।
२७. प्र० - मांस सेवन क्यों बुरा है ?
उ०- बिना किसीको जान लिये मांस तैयार नहीं होता । अतः मांस खाने से हिंसाका होना अनिवार्य है ।
२८. प्र० - स्वयं मरे हुए जीवका मांस खानेमें तो यह बात नहीं है ? उ०- मांस के टुकड़ों में सूक्ष्म जीवों की उत्पत्ति होने लगती है । अतः मांसको खाना तो दूर, जो उसे छूता भी है वह असंख्य जीवोंका घातक होता है |
२९. प्र०--- मधु सेवन में क्या बुराई है ?
उ०- मधु मक्खियों और उनके अण्डोंका घात होता है । नई प्रणालीसे उत्पन्न किया गया मधु भी इस बुराईसे एकदम अछूता नहीं है ।
३०. प्र० -- पांच उदुम्बर फलोंके सेवन में क्या बुराई है ?
उ०- पीपल, गूलर, पाकर, वट और कठूमरके फलोंमें स्थूल और सूक्ष्म त्रस जीव भरे होते हैं । इसीसे उदुम्बरको जन्तुफल भी कहते हैं । ये फल वृक्षके काष्ठको फोड़कर उसके दूधसे उत्पन्न होते हैं । अतः जो इन फलों को खाता है वह साक्षात् जन्तुओंको हो खाता है |
३१. प्र० -- असत्य किसे कहते हैं ?
उ०- प्रमादके योगसे असत् कथन करने को झूठ कहते हैं ।
३२. प्र० -- असत्य वचनके कितने भेद हैं ?
उ०- चार भेद हैं- वर्तमान वस्तुका निषेध करना पहला असत्य है । जैसे घर में होते हुए भी यह कहना कि देवदत्त यहाँ नहीं है । अवर्तमान वस्तुको मौजूद बतलाना दूसरा असत्य है । कुछका कुछ बतलाना तीसरा असत्य है । जैसे देवदत्तको यज्ञदत्त बतलाना और गर्हित सावद्य और अप्रिय बचन बोलना चौथा असत्य है ।
३३. प्र० - गर्हित वचन किसे कहते हैं ?
उ० - किसीकी चुगली करना, हँसी उड़ाना, कठोर वचन बोलना आदि ति वचन हैं ।
३४. प्र० - सावद्य वचन किसे कहते हैं ?
उ०- हिंसा आदिकी प्रेरणा करने वाले वचनों को सावद्य वचन कहते हैं ?
३५. प्र० -अप्रिय वचन किसे कहते हैं ?
उ० - जो वचन द्वेष, भय, खेद, वैर, शोक और कलह वगैरहको उत्पन्न करने वाले हों, उन्हें अप्रिय वचन कहते हैं ।
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