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पद्यानुक्रमणिका
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१६४
१६ २४६
१२
३१७ १२८ १३०
प्रचरिज हूवो हमीर अजमति चाहो और प्रदलि दई के हाथि अध सहस गजराज अपना उतन उजालि अपना भवन हमीर अपना महजम छाडि अब चलै दूत मुरझाय अबदल हसन हमीर अबदल करीम पतिसाहि पेले अब लोहा मति करो (अब) सुनत-बचन ये सेख अमरपुरी ब्रह्मलोक वचन अलादीन औलिया अलादीन पतिसाह सु अलादीन पतिसाह सौं असुर मारि अजपाल
(प्रा) पाठ सहस चौहान तीन प्रा तरनि सौं पुरखि साहि आदि भवानी अंबिका प्रादू थान अजमेरि गढ़ प्रापन सूर कहाय आम खास उमराव सबै प्रासावती सौं कंवर भाखै
२६४
१९२
(ऐ) २१३ ऐसो करम संजोग हुरम १६४
(प्रो) १३१ औसर इसे हमीर २५४ २७८
कंवर निकसी तब प्राय
कछु भवानी वर दिय २००
कमधज कूरम गौड़ तुवर
क्या मगरूरि हमीर १३८
कर महरम खां जोरि १४८
कर महरम खां जोडि करि कुरान महि साहि करि सलाम रणथंभ को
करि सलाम राव कौं. ४२ करि आखेटक राव ४०
करि देवन सौं दोख
करी तोप तयार १०६ करयो दोख श्री कृष्ण सौं
कह हजरति सौं वचन १७२ कहां जैत कहां सूर.
कहां जगदेव पंवार __ कहां मैं कहां या सेख ८ कहै सीस गढ़ दियो ११२ कहै पतिसाहि विलंब न कीजे
८६ कहै पतिसाहि उजीर १६१ कहै सेख कर जोड़ि रजा
कहै हमीर सुनि दूत वचन
कातिग पिछले पाखि २३८
काछ वाच निकलंक
कालबूत को सेख यक २६५ कीनां कुटन खराब १४४ केता गढ़ रणथंभ राव
२२५
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२३५
३२ ३०७ १४५
इती आसा दई प्रासिका
(उ) उच्चरत सदकी वचन यम उडि सोर दामु महताप लग्गे
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