________________
'हमीर-रासो' के सम्पादन में प्रयुक्त प्रतियों का विवरण
१. प्रति संख्या (क) मूल-पाठ
यह प्रति सभी उपलब्ध प्रतियों में प्राचीन तथा शुद्ध है। पत्र ४ से प्रारम्भ होकर पत्र ८३ पर 'रासो' सम्पूर्ण होता है । पुष्पिका निम्नलिखित है
इति राव हमोर रासो, गढ़ मजकूर सम्पूर्णम् । शुभमस्तु । मिति प्रासोज सुदि ३ सं. १८२३ [वि. शास्त्र भण्डार मन्दिर संधीजी जयपुर; प्रति सं. ४३ । प्राकार ६१४६; प्रति पृष्ठ १३ पंक्तियां, प्रति पंक्ति अक्षर १३ से १५]
२. प्रति संख्या (ख) पाठ-भेद
यह प्रति सभी उपलब्ध प्रतियों में पूर्ण है। 'रासो' पत्र १ से प्रारम्भ होकर पत्र ६१ में सम्पूर्ण होता है । पुष्पिका निम्नलिखित है
यतो हमीर-रासो, सम्पूर्णम् । समाप्तम् । पोथी हरनाथसिंघ की पूरी हुई। राजगढ़ का डेरा (में) सगराम राजाजी का डेरा हुवा छाजिदा संवत् १८३८ मिती दुतीक जेठ वदि पख १८३० दसकत केलणसिंघजी मोतीसिंह का [भरतवाल टोंक का गढ़ पटोड़ा रा हरुप] वांचे जीने राम राम वांचीज्यो [वांच्यो] मोहनै दूषण छै नहीं, पोथी दूसरी की देख्या देखी उतारी छः ।
[वि. अभय जैन ग्रंथालय, बीकानेर (प्रति) में प्राप्य । इस गुटके में 'रासो' से पूर्व रामच [रि] त्र, दोला लीला ? तथा कुछ भजन लिखे हैं। प्राकार ६४४३ प्रति पृष्ठ में ६ से ८ तक पंक्तियां, प्रति पंक्ति अक्षर १५ से १६]
३. प्रति संख्या (ग) पाठ-भेद
यह प्रति पत्रांक ३ क से प्रारम्भ होती है तथा पत्रांक ४६ में 'रासो' सम्पूर्ण होता है । पत्रांक ४६-४७ त्रुटित है एवं पत्रांक ४३ के पश्चात् एक पत्र पर पत्रांक अंकित नहीं है। पुष्पिका निम्नलिखित है
इति श्री राव हमीर-रासो, गढ़ मज [कू] र नामा सम्पूर्णम् । शुभमस्तु मिति भादों वदि २ गुरवासरे संवत् १८४० पोथी लिखि मानपुर मध्ये ।
रासो यह हमीर को, महेस ऋत ततसार । लिख्यो जाट जैक्रस्न नै, चूक्यो लेहु सुधार ॥ श्री । श्री। श्री। [वि. श्री अभय जैन ग्रन्थालय, बीकानेर प्रति सं. ६३६; गुटका आकार ६४४१ प्रत्येक पृष्ठ में १० से ११ तक पंक्तियां; प्रत्येक पंक्ति में १८ से २१ तक अक्षर] इस प्रति में छंद संख्या दी गई है । छंद १० से २४३ तक हैं ।
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org