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हमीरासो : 33
छंद
तीन सहंस कमघज, प्राठ चौहांन बखानौं । पांच सहंस पंवार, जमीयति येती जानौं ॥ रनतभंवर डेरा करें, मिले राव सौं आनि ।
करि मनुहार आगे लिये, कंवर फौज सनमानि ॥ १५७ ॥
छंद बिक्री
चतरंग के कंवर ररणयंभ प्राये । सनमान करि राव उर कंठ लगाये || मिलत ही कंवर दोऊ ? बचन भाखे । धनि सेख तुम सरणि राखै ॥१५८ ।।
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ते दिन साहि रनथंभ लरिये । राव तुम यादि हम कौंन करिये ॥ पतिसाहि सौ राव हठ करि न छाडो । वस चौहान के नीर चाढ़ो ।। १५६ ॥
निठे सामान सफजंग कीजै । रतन को राज होतोड़ दीजै ॥ बच सुनि राव मुरझाय रहियो । बिछुरि मति जाव हमीर कहियो ॥ १६० ॥ थिर रहे न कलि कोय गिर मेरु चलिये । बिछुरि हम राव सूर लोक मिलिये ॥
श्रासावती' सौं कंवर भाखै । श्ररज करि राव सौं बात प्राखै ॥ सेहरा बांध सफजंग कीजे । देखि रजपूती अब फते कीजै ।। १६१॥
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१ ख ग घ ङ. पद्य के स्थान पर बचनिका है । हजार तीन कमघज्ज, हजार प्राठ चौहान, हजार पांच पंवार । येति जमीयत लेकरि रगत-भंवर डेरा किया। जब राव सौं मिसलत करि कंवर बचन कहते हैं । छंद कंबर खान बाल्हणसी को । २ ग. दोय । ३ ख. पातिसाहि । ४ घ. निकसी बाहर सफजंग ।
५-६ ग घ पद्य के स्थान पर -
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रणवेस मिलि दोऊ न प्रणाम करिये ।
निरख नर नारि जल नैन भरिये । श्र.पा. ॥ जब राणी श्रासावती सौं को हमारे सिर सेहरा बांधो। जब राणी उछाह करिके कंवरन सिर सेहरा बांधे मोड़ घरि सीस दोऊ कंवर हरखें;
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ङ. जब राणी प्रासावती उछाह करिके कंवरन के सिर सेहरा बांध्या ।
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