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________________ 14 : हमीररासो ०-- सुनै दूत के बचन साहि', सन मुख चाहै कितोयक राज हमीर, करै हठ मोहि बुलावै ।। जतन जतन समझाविया ६, बचन बचन बहोते बढे । राव हमीर चौहान के, किती हसमदल संगि चढे ।।६३।। हजरति राव हमीर, मैं बहोत बात समझायो । सुनि महिमा कौ बचन १, रोस करि राव रिसायो ।। कितै मारि भड़ मेटियै, जितने ही सौं जंग करै । हमीर राव चौहान जो१२. साहि१३ संक निमक न करै ।।६४।। हजरति ले फुरवांन, दूत सौं बचन कहाई । जो परपन रनथंभ, राव के अबै बताई ।। कर जोड़ि दूत हाजरि हुवा, कहै हजरति सौं बात । जो उनमान चौहान का, कहता ही अब तात१४ ।।६५।। सुतर १५ सहस लख,तुरी उभैलख,दोय १६ पयादल१७ । मद बहतै गजराज, पांच सौ चलत१८ पटाधर ।। रगतभंवर १६ चीतौड़गढ़, नलवरगढ़ ग्वालेर । ह्वां नाहीं हुकम पतिसाहिका, करै सु राज हमीर ।।६६।। तुरी सहस इकतीस, असी गजराज अमानै । सूरवीर२० दस सहस, तेग काहू की ना२१ मानै ।। इती हसम रणथंभ गढ २२, इती राव रणधीर सौं । दूत बचन यम २३ ऊचरै,हजरति हठ न २४ करहु हमीर सौ ।।६७।। १ ख. जब अ. पा. । २ ख. घ साहि सू। ३ ग. चाह्यो । ४ घ. मुझि । ५ ग. बुलायो। ६ घ. चौहान कू अ. पा.। ७ ग. समझाइया । ८ ग. बढयो । ९ ग. सब्ब। १० ग. घ. नहीं है। ११ ख. घ. नांव । १२ ग. को, घ. नहीं है। १३ घ. सोच की संक न करै । १४ ख. ग. घ. पूरा पद्य नहीं है । इसके स्थान पर बचनिका है। बचनिका-पातिसाहि दूत सौं कहता है । जेता हमीर का परपन सो सारा मुझि सौं कहो । १५ ग. सतरि । १६ ग. अर। १७ ख. पैदल । १८ ग चपल । १९ ख. रणथंभोर, ग. रणथंभ केर। २० ख. सूरवीस ! २१ घ. नहीं । २२ घ. गाडी २३ ग. इम वच्चरै। २४ ग. घ. मति करो। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003833
Book TitleHamir Raso
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1982
Total Pages94
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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