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________________ 8 : हमीररासो कीनां कुटन खराब' कुबुधि, हजरति कहै तेरी । इती सेस के सीसि आन, हजरति कहै मेरी ।। च्यारि कूट चहू देस में, खूनी कहां समाय । तुझै पासि को रखवै वो, मुझि सौं बली बताय ।। ३४ ।। तुम सौं बली खुदाय, और हजरति नहीं कोई । जो उन लिखिया लेख, साहि सौ मेटे न कोई ।। सरमरि हजरति सौं कर इसा, सूर नहीं कोई [सूर ]वीर । दीखत मुझि' दो दीन बिचि, हजरति येक हमीर ।। ३५ ।। कहै सेख कर जोड़ि रजा, हजरति जो पाऊ । दिली बहौरि न पाय, साहिकौं सीस नवाऊ ।। इति प्रान पतिसाहि की, हजरति रहौं न कोई । जुड़े जंग सफजंग जहां हम तुम मिलना होई ॥ ३६ ।। दिली छाडि करि चलै बहौरि, उलटे नहीं चाहै । मीर गाबरू११ वीर मिलत, धर पर मुरझायै ।। बहौरि बचन यम ऊचरै, हजरति हद तजि जाह । कै रहियौ राव हमीर के, के मके१२ की दरगाह ।। ३७ ।। फिर्यो हूं खान सुलतान, फिर्यो हूं सब हिंदवाने । कासमेरि गुजरात गौड़व देस बंगालै ।। दसौं देस फिरि प्रावियो, अब उपाय कैसौ करौं । कहै सेख हमीर सौं, अब 3 सरणागति ऊबरौं ॥३८ ।। तजै देस गढ़ कोट लोभ, जिवका नहीं कोई । अलादीन सौं तेग बांधि, राखै मोहि१५ कोई ।। नृप१६ देखे दस देस के, काहू मुख नहीं नीर । प्रलादीन सौं अंगवै," ऐसा कोन हमीर ॥ ३९ ॥ १ ख. खुवार । २ म. कहि । ३ ग. इसा सुभट को न सूर । ४ यहाँ के प्रति सं. घ. प्रारम्भ होती है। ५ क. नहीं, ६ नहीं पाऊ। ७ ख. नहीं । ८ ख. में प्र. पा. । ९ ग. तहां । १० ख. पावू । ११ ग. गाभल । १२ ग. मका की। १३ घ. तो अ. पा.। १४ ख. नहीं है । १५ ख. नहीं है। १६ घ. नरपति, ख. नर । १७ घ. तेग गहै । Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003833
Book TitleHamir Raso
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1982
Total Pages94
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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