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प्राचीन गुर्जर काव्य संचय तउ पंडितु कोपानलि चडियउ घाठउ हिंडइ सूनउ थियउ । तउ चेलुकाँ पिरायाँ पोसइ 'नंदु हणिउ सिरियउ राउ होसई' ॥१२
नयर-दुवारे सद्दो नरवइ संभलियउ ।
महता रूठउ राओ अछतउ नितु टलियउ ॥१३ जावह महतउ अवसरि आवइ तावह पूठि दियइ पुणु नरवइ । महतइ जाणिउ मूल विणासिउ भण-वयणे नरवइ रूसिउ ॥१४
महतइ घरि जाएवी सिरियउ हक्कारिउ ।
तुम्हि नंदहु चिर-कालो अप्पइँ पिउ मारिउ ॥१५ सिरियउ भणइ 'न घल्लउँ घाऊ जीविउ लाछि लियइ जइ राऊ । महतइ घरह कुटुंबडं खामिउ असिउ हलाहलु रयसिरु नामिउ ॥१६
महतइ विसु भक्खेवी किउ प्राण-तियागू ।
सिरियउ अंगह रक्खो तिणि मूकउँ खग्गू ॥१७ खग्गइ मूकइ इयउ घाऊ कपटु करिउ तउ पूछ्इ राऊ । 'सिरिया महतउ तइँ काइँ मारिउ सामि-प्रओजनु किंपि न सारिउ' ॥१८ सिरियउ पभणइ कर जोडेविणु निसुणि नरेसर कन्नु धरेविणु । जो महु सामिहि चूकइ भावइ सो हउँ निहणउँ जइ पिउ आवई' ॥१९
सिरियइ रंजिउ राओ जिम जमह न चूकइ। ..
हक्कारइ 'लइ मुंद्र महता-पदु दूकइ' ॥२० सिरियउ कहइ नरिंदह जाइउ 'अम्ह थूलिभदु जेठउ भाइउ । तसु तणि मुंद्र अम्ह नवि छाजइ कामिणि-विरहु किमइ जइ भाजई' ॥२१ तउ निसुणेविणु नरवइ जाणिउ मुंद्र कहइ लइ थूलिभदु आणिउ । रायह मंदिरि थूलिभदु पहुतउ मणु आलोचिउ भोग-विरत्तउ ॥२२
उत्तर देइ न जानू मणि रचियउ दाऊ ।
लइयउ संजम-भारो अवगणियउ राऊ ॥२३ . . १२. १. ब. हूयउ. २. ब. सूनउं. ३. ब. चेलुकइं परायइं. ४. ब. रजि. १३. ३. ब. सविवर रूठउ. ४. ब कुवियउ. १४. १. ज. जाव. २. ज. ताव. ३. ज. विणास, ब. विणासो. १८. १. ज. ब. खग्गह, ज. मूका. २. ब. कोडु करिवि. ४. ज. परोजनु, घ. प्रजनु १९. ३. ब. सामिय चूकउ. २१. २. ज. थूलभदु. ब. अम्हह थूलिभद्र. २. ज. अम्हंह; ब. तसु केरी. २२. ४. ब. ओलोचिवि. २३. २. ब. रधियउ. ४. ब. अवगंनिउ.
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