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समर्पण
जिन्हें श्रीमद् के प्रति अगाध श्रद्धा थी, जिन्हें श्रीमद् के सैकड़ों पद, स्तवन, सज्झाएँ कंठस्थ थीं, जिनकी प्रेरणा से श्रीमद् की कई रचनाओं का गुजराती में प्रकाशन हुआ, ऐसे परमपूज्य संयमशील गुरुवर्य, स्वर्गीय गरि बुद्धि मुनिजी महाराज साहब को परम पुनीत आत्मा को यह पुस्तक
सादर समर्पित
है ।
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आपके बाल
जयानन्द
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