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________________ १०८ ] जिन नयन वर्णन पद राग - कनड़ो नीके नयन तुमारे, हो जिनजी ( २ ) सकल विशेष सामान्य विलोकने, मानुं द्वय गुरण सारे हो जिनजी० || १ | निःस्पृहता प्रभुता के भाजन, भविकु लागत प्यारे हो जिनजी० ।। २ । समता मोहन खोहन ममता, प्रति तीखे प्रणियारे हो जिनजी० ॥३॥ याकी स्थिरता जे जन लीने, तिरण निज काज समारे हो जिनजी ० ||४|| देवचंद्र हग छबि प्रति अद्भुत, द्यो हग में ग्रवतारे हो जिनजी० ||५|| जिन नासिका वर्णन पद श्रीमद् देवचन्द्र पद्य पोष राग-कहरवा Jain Educationa International प्रति श्रद्धत प्रभु की नासिका ( २ ) तीन भुवन में उपमा नांहि, अविनाशी सुख वासिका || प्रति० ॥ | १ || मोह महारिपु कंद निकंदन, विजय पताका ग्रासिका || प्रति ||२|| निर्विकार पद रसिक भविक कु, भक्ति प्रमोद उल्लासिका || प्रति ॥३॥ निश्चय रत्नत्रयी आराधन, साधन मार्ग विकाशिका || प्रति० ॥४॥ देवचंद्र मुखकज प्रतिबोधन, चंद्रकला सुप्रकाशिका || प्रति० ||५|| For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003830
Book TitleShrimad Devchand Padya Piyush
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemprabhashreeji, Sohanraj Bhansali
PublisherJindattsuri Gyanbhandar
Publication Year
Total Pages292
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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