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________________ [ ग्यारह ] लिए हम उनके अत्यन्त आभारी हैं। भूमिका की भाषा गुजरातो होने से उसका हिन्दी अनुवाद कर दिया गया है। अनुवाद करने में कोई भूल रह गई हो तो लेखक महोदय क्षमा करें। श्रीमद के हस्त लिखित अक्षर श्रीमद् का कोई चित्र उपलब्ध नहीं है, अतः उनकी हस्त लिखित अक्षर देह की एक प्रति जो सं० १७७६ की है, उसका ब्लॉक बनवाकर प्रस्तुत पुस्तक में समावेश किया गया है। श्रीमद् की चरणपादुका के देरी का चित्र भी देने का विचार था पर खेद है वह उपलब्ध नहीं हो सका। पुस्तक में प्रकाशित रचनाओं प्रयुक्त भाषा के विषय में निवेदन यह है कि इसकी भाषा तात्कालिक प्रयोग का समन्वित रूप है जिसमें अपभ्रंश, हिन्दी, गुजराती, राजस्थानी पादि सबका सम्मिश्रण है इसमें प्रयुक्त शब्दावली उस युग के बोल चाल व भाषा का मानक, प्रमाणिक रूप है जिसे आधुनिक काल के परिपेक्ष्य में अशुद्ध न माना जाय । पुस्तक को सुन्दर, सरस और बड़े टाइप में सर्व जन ग्राह्य बनाने का अपनी क्षमतानुसार प्रयास किया है। प्रूफ आदि के देखने में यथा संभव सावधानी रखी गई है, फिर भी दृष्टि-दोष व मतिभ्रम से जो भूलें या कमियां रह गई हैं, उनकी ओर पाठक ध्यान दिलाएंगे तो अगले संस्करण में उनका परिष्कार किया जा सकेगा। भक्त लोग प्रस्तुत प्रकाशन से आध्यात्मिक प्रेरणा प्राप्त कर इस से लाभ उठाएंगे तो, हम (प्रेरक, संग्राहक, संपादक शब्दार्थ कारिका आदि) अपने प्रयास को सार्थक समझेंगे। प्रस्तुत पुस्तक के प्रकाशन में जिन्होंने आर्थिक या बौद्धिक सहयोग प्रदान किया है उन सबका हार्दिक अभिवादन करता हूं। कुशलम् सोहनराज भंसाली १६२ डी, शास्त्री नगर, जोधपुर. वैशाख पूर्णिमां. वीर सं० २५०३. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003830
Book TitleShrimad Devchand Padya Piyush
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemprabhashreeji, Sohanraj Bhansali
PublisherJindattsuri Gyanbhandar
Publication Year
Total Pages292
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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