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[ छः ] श्रीमान अगरचंदजी नाहटा ने प्रस्तुत रचनाओं को संग्रह कर मेरे पास भेज दी।
विदुषी साध्वीजी श्री अनुभव श्री जी की विद्वान शिष्या साध्वीजी हेम प्रभाश्री जी ने संग्रहीत रचनाओं में प्रयुक्त कठिन शब्दों का सरल अर्थ कर तथा कुछ टिप्पणियां लिखकर पाठकों को अर्थ समझने में सरल कर दिया है।
प्रफ संशोधन और संपादन का कार्य श्रीमान् सोहनराजजी भंसाली ने अत्यन्त रुचि एवं लगन पूर्वक किया है जो अत्यन्त सराहनीय है।
अन्त में, मैं इतना अवश्य कहना चाहूंगा कि प्रस्तुत पुस्तक इतनी जल्दी प्रकाशित होने का मुख्य श्रेय साध्वीजी श्री हेम प्रभा श्री जी, श्रीमान् अगरचन्दजी नाहटा एवं श्रीमान् सोहनराजजी भंसाली को है। यदि इन महानुभावों का सहयोग न मिला होता तो यह पुस्तक अब तक प्रकाशित न हो पाती।
महान् उपकारी श्रीमद् देवचन्द्रजी महाराज कृत स्तवन, सज्झाय, पद आदि का अध्ययन चिन्तन मनन करके भव्य आत्मा कल्याण करें, यही मनोकामना करता हूँ मैं आशा करता है कि इसी तरह श्रीमद् देवचन्द्र कृत ध्यान चतुष्पदी दीपिका भी शीघ्र प्रकाशित होकर भक्तजनों के हाथों में पहुँचेगी।
प्रस्तुत पुस्तक के प्रकाशन में द्रव्य सहायता जोधपुर खरतर गच्छ जैन संघ ने दी है अतः इसके लिए जोधपुर संघ धन्यवाद का पात्र है।
जैन मन्दिर शास्त्री नगर, जोधपुर.
गरिण श्री बुद्धिमुनिजी महाराज .
साहब के शिष्य जयानन्द मुनि
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