SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 27
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १८ नास्ति आदि निन्मोक्त ७ भंग । ( ४ ) निक्षेपः -तत्त्व की स्थापना करने के प्रकार का नाम निक्षेप है। ये चार हैं १ नाम निक्षेप २ स्थापना निक्षेप३ द्रव्य निक्षेप और ४ भाव निक्षेप (५) स्याद्वाद - अपेक्षा पूर्वक कथन का नाम स्याद्वाद है । १ स्यादस्ति, ३ स्यान्नास्ति, ३ स्यादस्ति स्थानास्ति, ४ स्याद्वक्तव्य ५ स्यादस्ति अवक्तव्य, ६ स्यान्नास्ति अवक्तव्य, ७ स्यादस्ति स्यान्नास्ति अवक्तव्य यह सप्तभंगी है। इनसे युक्त सापेक्ष वचन स्याद्वाद है। 1 (६) सो लहगुण- लिंगतीन - १ पुल्लिंग, २ स्त्रीलिङ्ग, ३ नपुसकलिङ्ग ! तीनकाल- ४ भूत, भविष्य, ६ वर्तमान । तीन वचन - ७ एक वचन, ८ द्विवचन, बहुवचन | दो प्रमाण... १० प्रत्यक्ष, ११ परोक्ष । १२ उपनीत ( स्तुतिमय ) १३ अपनीत ( निन्दात्मक) १४उपनीतापनीत (स्तुति निन्दायुक्त, यथा सुरूपा किन्तु कुशीला) १५ अपनीताऽपनीत ( निन्दा स्तुति युक्त, यथां कुरूपा किन्तु सुशीला ) १६ अध्यात्म वचन । (७) दस गुण - १ जनपद सत्य, २ सम्मत सत्य, ३ स्थापना - सत्य, ४ नाम सत्य, ५ रूप सत्य, ६ पडुच्च सत्य, ७ व्यवहार सत्य. ८ भाव सत्य, योग सत्य, १० उपमा सत्य । अष्ट प्रवचन माता सज्झाय (८) चार गुण---१ द्रव्यानुयोग, २ चरण करणानुयोग, ३ गणितानुयोग, ४ धर्मकथानुयोग । या आक्षेपनी आदि ४ प्रकार के गुण सूत्र ने अर्थ अनुयोग ए, बीय निजुत्ति संजुत्त रे । तीय भाष्ये नये भाविओ, मुनि वदे वचन इम तंतरे ॥ १० ॥ सा० शब्दार्थ... सूत्र -- मूल आगम । निज्जुत्ति नियुक्ति । संजुत्त - सहित । तीय- तीसरा । भाष्य-बिस्तृत विवेचन । तंज- सार । Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003829
Book TitleAsht Pravachanmata Sazzay Sarth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherBhanvarlal Nahta
Publication Year1964
Total Pages104
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy