________________ श्रीमद् देवचन्द्र जी की गुणस्तुति-- खरतर गच्छ मांही थयारे लोल,नामे श्री देवचंद रे सोभागी जैन सिद्धांत शिरोमणि रे लोल, धैर्यादिक गुण वृन्द रे सोभागी [पद्मविजय कृत उत्तमविजय निर्वाण दाश] "पंचम काले देवचन्द जी, गंधहस्ति जे तुल्य / प्रभावक श्री वीर नो,थयो अधुना बहु मूल्य // " - श्री देवचन्द मुनीन्द्र ते जेन नो, स्तंभ सदृश थयो सत्य ! सुज्ञानी कवियण रचित देवविलास] ज्ञान दर्श चारित्र-व्यक्त रूपाय योगिने श्रीमते देवचंद्राय, संयताय नमो नमः // 1 // द्रव्याणुयोग गीतार्थो व्रताचार प्रपालक: देवचन्द समः साधु, राचीनो न दृश्यते / / 2 / / आत्मोद्गारामृतं यस्य, स्तवनेषु प्रदृश्यते त्रिविध ताप तप्तानां, पूर्ण शांति प्रदायकम् // 4 // आत्म शमा मृतस्वादी, शास्त्रोद्यान विहारवान यत्कृत शास्त्र पाथौधौ कुर्वन्ति सज्जना // 6 // सिद्धां Serving Jin Shasan ) रागिशेखरः माध्या त्यं नमोनमः // 7 // कृत देवचन्द्र स्तुति श्री हरिप्रसाद उपाध्याय द्वारा प्रभाकर प्रेस, 74, पथरियाघाट स्ट्रीट, कलकत्ता-६ से मुद्रित / 112430 gyanmandir@kobatirth.org atarnderwateUse Only Dainelibrary.org