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________________ ११६ ] [ जैन कथा संग्रह जब कोई गुड़ देने से मरता हो, तो जहर देकर मारने की क्या आवश्यकता है ? ऐसा कीजिये, कि ठीक भोजन के समय शेर को छुड़वा दीजिये। इससे सारे शहर में निश्चित ही त्रास फैल जावेगा। इसी समय विमल को उत्तेजित कर दीजियेगा, अतः वह शान्त न बैठा रह सकेगा, और सेर को पकड़ने के लिये जायगा । वहां, उसका काम अपने आप तमाम हो जायगा। राजा को यह विचार बहुत पसन्द आया। . दूसरे दिन राजा ने सब तैयारी ठीक करवा दी। ज्यों ही विमलशाह आये और राजा को नमन करके बातें करने लगे, ठीक त्योंही पिंजरे से शेर बाहर निकाल दिया गया। शेर के छूटने से सारे शहर में हा-हाकार मच गया। एक मनुष्य ने, जहाँ राजा और विमलशाह बैठे थे, वहां आकर समाचार दिया, कि-'महाराज! शेर छूट गया है और सारे शहर में उसके कारण त्रास फैल रहा है।" यह सुनकर विमलशाह एक दम खड़े हुए और बाघ को वश में करने के लिए तैयार हो गए । राजा तो यही चाहते ही थे, अतः वे कुछ न बोले । __ शहर के चारों तरफ सन्नाटा छा रहा था। जिसे जिधर मौका मिला, वह उधर ही भाग कर घर में घुस गया। वह सिंह अकेले ही शहर में दौडता फिर रहा था, कि इतने ही में उसे विमलशाह दिखाई दिए। इन्हें देखते ही शेर दौड़ा और झपाटा मार कर इनके सामने आ गया । विमलशाह तो उसकी खबर लेने को तैयार ही थे । अतः एक छलांग मार कर उन्होंने उसके दोनों कान जा पकड़े। बाघ ने छटने का बहुत प्रयत्न किया, किन्तु विमलशाह के हाथ ऐसे कमजोर न थे, कि उनसे सिंह के कान छूट जाते । अन्त में उस सिंह को लेकर उन्होंने फिर पींजरे में बंद कर दिया। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003828
Book TitleJain Granth Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhirajlal Tokarshi Shah, Agarchand Nahta
PublisherPushya Swarna Gyanpith Jaipur
Publication Year1978
Total Pages170
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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