________________
तो प्रथम ही से ग्राहक बन आना चाहिये नहीं तो सम्भव है, कि फिर हाथ न आने पर पछताना पड़े।
शोघ्र छपनेवाले ग्रन्थ। (१) श्रीजिनचन्द्र सूरि (अकघर प्रतिबोधक) का जीवन-चरित्र । (२) सम्यक्त्व-स्वरूप (३) कविवर समयसुन्दर (४) मस्तयोगी ज्ञानसारजी (५) कविवर धर्मवर्द्धनजी इत्यादि ।
नोट-ज्ञात रहे कि उपरोक्त सभी जीवनियां ऐतिहासिक खोज शोध के साथ लिखी जायगो।
मिलने के पते :
श्रीअभय जैन ग्रन्थमाला। ठि० दानमल शंकरदान नाहटा, नाहटों की गुवाड़ (बीकानेर)
शंकरदान शुभैराज नाहटा, ५६, अरमेनियन ष्ट्रीट,
कलकत्ता।
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org