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( १०२ ) चैत्यबंदन, स्तवन और स्तुति ऐसे हैं जो सर्वत्र बोले जाते हैं और कुछ ऐसे भी हैं जो सिर्फ स्त्रियों ही के बोलने योग्य हैं और कुछ ऐसे भी हैं जो सिर्फ पुरुषों ही के बोलने योग्य हैं और कुछ ऐसे भी है जो साधु साध्वी के बोलने योग्य हैं।
इनकी विचारणा स्वयं करे अथवा जानकारों से पूछे तो हो सकती है। यहां इस लेखमें इनके सम्बन्ध में समग्रता पर्बक नहीं कहा जा सकता है पर तो भी उदाहरण स्वरुप कुछ बतला दिया जाता है जैसे स्तवनादि जो जिस स्थल के होते हैं वा जिस तिथि को बोलने के होते हैं वे वहीं बोले जाते हैं। सामान्य जिनस्तुतियां सभी जगह कही जा सकती हैं। स्तुतियां जो चार हों तो उनमें से प्रथम, द्वितीय, त्रितीयतो मध्यम-चैत्यबंदनके अन्तमें कही जाती हैं, पर चौथी स्तुति कभी नहीं कही जाती है। जो स्तवनादि स्त्रियों के हो बोलने के हैं उन्हें
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