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चाहिए पर स्वयं काममें लावे ऐसी अनेक जाति की मिठाई भी चढ़ानी चाहिए, पर इसमें भी इतना जरूर ख्याल कर लेना चाहिए कि कहीं वह मिठाई झूठे (ऐ ठे) हाथोंसे ई हुई न हो । मिठाई स्वच्छ होनी चाहिए ।
(२१) अष्ट प्रकारी पूजा में द्रव्य बृद्धि का भो समावेश होता है, इसलिए हमेशा यथाशक्ति द्रव्य भो चढ़ाना चाहिए। बादमें चामर आदि प्रातिहार्यो की भी पूजा करनी चाहिए । चामर विवेकपूर्वक दूर रहकर बींजना (टुलाना) चाहिए तथा घंटा बजाना चाहिए इत्यादि करते हुए द्रव्य - पूजा की समाप्ति करनी चाहिए ।
(२२) द्रव्य - पूजा में और भी कई बातोंका समावेश हो जाता है। यहां जो कुछ बताया गया है वह नित्य की जाने वाली अष्ट प्रकाशे पूजा के सम्बन्ध में सम्बन्ध में है । वाकी पर्वोंमें तथा तीर्थोंमें विशेष रीति से पूजा भक्ति करनी चाहिए उस समय अपनी शक्तिको न छिपा कर जिस
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