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________________ पल्लीवाल ज्ञातीय स्त्रीकुल भूषण श्राविका सूल्हणदेवी और उसका परिवार वि० की तेरहवीं शताब्दी में पवित्रात्मा वीकल नामक पल्लीवालज्ञातिय श्रेष्ठ रहता था । पवित्रकर्मा रत्नदेवी उसकी पत्नी थी । श्राविका सूल्हणदेवी इनकी प्यारी पुत्री थीं । सूल्हणदेवी देव पूजा गुरु-सुश्रुषा एवं धर्मकार्य में नित्य व्यस्त रहा करती थी । उसका विवाह वज्रसिंह नामक पल्लीवाल ज्ञातिय एक सुन्दर एवं बुद्धिमान युवक के साथ हुआ था । वज्र सिंह का कुल परिचय निम्नवत है: पल्लीवाल ज्ञातिय योगदेव नामक एक सद्गरणी श्रावक वि० बारहवीं - तेरहवीं शताब्दी में हो गया है। योगदेव के श्रमदेव प्रोर वीरदेव दो पुत्र थे । वीरदेव के तीन पुत्र थे- कपर्दी, माक और साढ़ा | साढ़ा का पुत्र आम्रकुमार था, आम्रकुमार की पत्नी का नाम जयन्ती था । प्राकुमार के पास नाम का पुत्र और धाई तथा रूपी नामा पुत्रियाँ हुई। पासड़ की पत्नी पातू नामा थी । पातू की रत्नगर्भा कुक्षी से जगतसिंह, वज्रसिंह और मदनसिंह नामक तीन पुत्र उत्पन्न हुए । जगतसिंह की स्त्री माल्हरणदेवी और वज्रसिंह की पत्नी उपरोक्त सूल्हणदेवी थी । ल्हणदेवी श्री जयदेव सूरि की परम भक्ता थी । श्रीदेवसूरि Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003825
Book TitlePallival Jain Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDaulatsinh Lodha
PublisherNandlal Jain Pallival Bharatpur
Publication Year1963
Total Pages216
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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