SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 68
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पालीवाल ब्राह्मण - वैसे तो कुछ कुछ संकेत पाली में पल्लीवाल-ब्राह्मणों के निवास, पाली-त्याग और पल्लीवाल वैश्यों के साथ इनके संबंध के विषय में इस प्रस्तुत लघुवृत में यत्र-तत्र पा चुके हैं । परन्तु जो कुछ इनके संबंध में अब तक ज्ञात हो सका है वह और ये मिलाकर एक स्वतंत्र शीर्षक से लिखू तो अधिक ठीक होगा। पालीवाल ब्राह्मण पाली में अपनी ज्ञाति के एक लाख घर होना कहते हैं । यह प्रवाद भ्रामक है। पाली समृद्ध और बड़ा नगर अवश्य था, लेकिन केवल पल्लीवाल ब्राह्मणों के ही एक लाख घर थे तो अन्य जातियाँ जो वहाँ वसती थीं, उन सर्व के मिलाकर कितने लाख घर पाली में होंगे और फिर पाली में जब कई लाख घर वसते थे तो ऐसे पाली के संबंध में जोधपुर-राज्य के इतिहास में उतना चढ़ा-बढ़ा वर्णन क्यों नहीं? पल्लीवाल वैश्य १४०० सीधा और १४०० टक्का पालीवाल ब्राह्मणों को दिया करते थे। इस दृष्टि से पाली में इनके भी लगभग १४००१५०० ही घरं होंगे और उनमें ७५००-८००० अथवा १०००० दस सहस्त्र पाबाल वृद्ध होंगे। पाली में ये लोग विशेषतः कृषि करते थे और राज्य को कोई कर नहीं देते थे और राज्य भी इनसे कोई कर नहीं लेता था । Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003825
Book TitlePallival Jain Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDaulatsinh Lodha
PublisherNandlal Jain Pallival Bharatpur
Publication Year1963
Total Pages216
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy