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पल्लीवाल जाति इतिहास प्रेमी प्राचार्य श्री देवगुप्तसूरिजो महाराज (प्रसिद्ध नाम ज्ञान सुन्दर जी ) पुस्तक "भगवान पार्श्वनाय की परम्परा का इतिहास' से।
इस जाति की उत्पत्ति मूल स्थान पाली शहर है; जो मारवाड़ प्रान्त के अन्दर व्यापार का एक मुख्य नगर था । इस जाति में दो तरह के पल्लीवाल हैं । १ वैश्य पल्लीवाल, २ ब्राह्मण पल्लोवाल और इस प्रकार नगर के नाम से और भी अनेक जाति हुई थीं; जैसे श्रीमाल नगर से श्रीमाल जाति, खंडेला शहर से खंडेलवाल, महेश्वरी नगरी से महेश्वरी जाति, उपकेशपुर से उपकेश जाति, कोरंट नगर से कोरटवाल जाति और सिरोही नगर से सिरोहिया जाति इत्यादि नगरों के नामों से अनेक जातियाँ उत्पन्न हुई थीं; इसी प्रकार पाली नगर से पल्लीवाल जाति की उत्पत्ति हुई है। वैश्यों के साथ ब्राह्मणों का भी सम्बन्ध था, कारण ब्राह्मणों की आजीविका वैश्यों पर ही थी अतः जहां यजमान जाते हैं वहां उनके गुरु ब्राह्मण भी जाया करते हैं जैसे श्रीमाल नगर के वैश्य लोग श्रीमाल नगर का त्याग करके उपकेशपुर में जा बसे तो श्रीमाल नगर के ब्राह्मण भी उनके पीछे चले आये। अतः श्रीमाल नगर से आए हुए श्रीमाल वैश्य और ब्राह्मण श्रीमाल ब्राह्मण कहलाये। इसी प्रकार पाली के
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