SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 178
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १५३ ७ को बड़े उत्साह से हुआ। इसमें छीपापल्लोवालों के साथ भोजन और कन्या व्यवहार प्रारम्भ करने का प्रस्ताव स्वीकृत किया गया । • महत्वपूर्ण चतुर्थ अधिवेशन यह अधिवेशन गंगापुर वासी ज्ञाति शिरोमणि सेठ रामचन्द्र जी के सभापतित्व में सन् १९३५ अप्रल १६ को हिण्डौन में हुआ। इसमें ज्ञाति के इतिहास पर प्रकाश डाला गया और संगठन को आगे बढ़ाने के संबंध में विचार विमर्श हुए । रामचंद जी के पुत्र रिद्धिचन्द M. L. A., गंगापुर वालों की जयपुर में भी रिद्धिचन्द जगन्नाथ के नाम से लखपती फर्म हैं । ___ सभा का सन् १९३६ का अधिवेशन ता ३० जून को अलवर में हुआ । इसमें ज्ञाति में प्रचलित रश्म रिवाज सम्बंधी एक पुस्तक प्रकाशित करके घर २ पहुँचाने का प्रस्ताव स्वीकृत हुआ। सभा के आगे के अधिवेशन खेरली, और महावीर जी में हुए। इन अधिवेशनों में छीपा पल्लीवाल एवं मुरेना के पल्लीवालों के साथ वैवाहिक संबन्ध स्थापित करने के जो विरोध उत्पन्न हो रहे थे, धीरे २ उनको दूर करने का प्रयत्न किया गया । क्लब ने सभा को जन्म दिया और सभा ने जाति को एक रूप में बांधा। क्लब और सभा के समस्त कार्यकर्ता पल्लीवाल ज्ञाति के इतिहास में स्मरण करने योग्य एवं धन्यवाद के पात्र हैं। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003825
Book TitlePallival Jain Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDaulatsinh Lodha
PublisherNandlal Jain Pallival Bharatpur
Publication Year1963
Total Pages216
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy