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प्रकाशित हो चुके हैं । हमारी कई वर्षों से इच्छा थी कि आपकी अन्य महत्वपूर्ण रचनाएं भी हिन्दी अनुवाद सह प्रकाशित की जाय । इसलिये दो वर्ष पूर्व श्री नेमीचन्द्र जैन से बीकानेर में अष्ठप्रवचन माता, पंच भावमा व प्रभंजमा सज्झा का हिन्दी में भावार्थ लिखवाया गया जिनमें से अष्ट प्रवचन. माता का संज्झाय भावार्थसह अलग से प्रकाशित की जा रही है। प्रस्तुत ग्रन्थ में पंच भावना प्रभंजना, साधु भावना पद, साधु भावना सज्झाय अर्थ सहित व अन्य गजसुकुमाल व ढवण मुनि की सज्झाय व कतिपय पद-मज्झाय मूलरूप में प्रकाशित की जा रही है। पेच भावना की सम्झाय बहुत ही महत्वपूर्ण है, सुप्त चितना को जात करने में इसकी तीसरी बौथो ढाले ती इन्जेक्सन से भी अधिक काम करती हैं। इस सज्झाय में उल्लिखित तपस्वी एवं वैरागी मुनिजनों की जीवनियां भी आशा है पाठकों को बहुत ही प्रेरणादायक सिद्ध होंगो। साधु भावना पद और साधु भावना सम्झाय का बालावबोध भी योगिराज ज्ञानसारजी रचित्त उपलब्ध हुआ था। उसके आधार से संक्षिप्त भावार्थ श्री केशरीचन्द्र जी धूपिया ने.सय्यार कर दिया है । एतदर्थ हम उनके आभारी हैं।
श्रीमद् की अन्य कई रचनाओं के हिन्दी अनुवाद भी तयार करवाये गये है जिनमें से शान्त-सुबारस का भंवरी बाई कृत अनुवाद मुद्रित हो रहा है। अध्यात्म गीता का हिन्दी भावार्थ श्री उमरावचन्दजी जरगड़ ने तम्पार किया है जिसे शीघ्र ही प्रकाशित किया जायेगा । आशा है हिन्दी भाषा जनखा हमारे - इस प्रयास को अपनाकर पूर्ण सहयोग देगी।
अगरचन्द नाहा
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