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प्रवेशिका • महान तत्वज्ञ श्रीमद् देवचन्द्र जी की रचनाओं का श्वेताम्बर समाफ में बहुत अच्छा प्रमार है । लगभग ५२ वर्ष पूर्व तपागच्चीय योगनिष्ठ श्रीमद कुद्धिसागरसूरिजी का ध्यान उन समस्त स्वनामों को संग्रहीत कर प्रकाशित करने की ओर मया और उनकी प्रेरणा से अध्यात्म ज्ञान प्रसारक माडल द्वारा श्रीमद् देवचन्द्र भाग १-२ के रूप में उनका :प्रकाशन भी हो गया । यद्यपि अयाम प्रेमी ममता ने उनको काफी अपनाया पर हिन्दी भाषातर के अभाव में उसका हिन्दी भाषी जनता में यथेष्ट प्रचार नहो. सका हमारी लोण से कुछ अजालहन गए भी प्राप्त हुई और उनके प्रकाशन का प्रयत्न मी. समय-समय पर किया जाता रहा है। श्रीमद् देवचन्द्र जी के आममसार का हिन्दी अनुवाद बहुत वर्ष पूर्व योगिराज श्री चिदानन्द जी महाराज ने किया था जिसे अमनालालजी कोठारी ने अभयदेवसूरि ग्रन्थमाला से प्रकाशित करवाया। यह प्रस्थ वस्तुतः कागजोंका सार ही है अतः इसका कुछाचिन के साथ हिन्दी रूपान्सर स्वर्गीय मानवमातर सूरिजी ने करके सैलाना से प्रकाशित करवाया । नयचक्रसार का हिन्दी रूपाकर फलोदी से प्रकाशित हुआ है।
• अव्यात्म और भक्ति रस प्रधान श्रीमद् की रस्सामों में से स्नान पूजा और बीबीसी भादि का प्रचार सबसे अधिक राहा है। श्वेताम्बर समाज के प्रायः प्रत्येक मन्दिर में स्नात्र-पूजा प्रतिदिन बड़े ही भक्ति भाव से पढ़ाई जाती है इसका प्रथम हिन्दी अनुवाद श्री चन्दनमल सी नागोरी ने व दूसरा श्री उमलवचन्द्र जी अरगड़ ने किया। श्री जरगड़ जी ने चौबीसी का भी संक्षिप्त हिन्दी क्वेि. चन तैयार किया। ये तीनों हिन्दी अनुवाद श्रीजिनदत्तसूरि सेवासंघ, बम्बई से
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