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ठक्करफेरूविरचिता
सिरि धंधकुले आसी कन्नाणपुरम्मि सिट्ठि कालियओ । तस्सुव ठक्कर चंदो फेरू तस्सेव अंगरुहो ॥ १३१ ॥ तेहि रयणपरिक्खा विहिया नियतणय हेमपालकए । केर मुणि गुण सैसि वरिसे ( १३७२ ) अल्लावदी विजयरज्जम्मि ॥ १३२ ॥
[ पाठभेद - तेणय रयणपरिक्खा रइया संखेवि ढिल्लिय पुरीए । कर मुणि गुण ससि वरिसे अल्लावदणस्स रजम्मि | १२६ ]
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॥ इति परमजैन श्रीचंद्रांगज ठक्कर फेरू विरचिता संक्षिप्तरत्नपरीक्षा समाप्ती ॥
१ पाठान्तर - फेरूविरचिते संक्षेप्यरत्नपरीक्षा समाप्तः ।'
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