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ठक्कुर -फेरू-विरचित जलनालयाउ फरिसं करंतरे चउ जवा कमेणुच्चं । जगईय भित्ति उदए छजये सम चउदिसेहिं पि ॥ ४५ अग्गे दाहिण-वामे अट्ठट्ठ-जिणिंद-गेह चउवीसं । मूल सैलागाउ इमं पकीरए जगइ मझंमि ॥ ४६ रिसहाई जिणपंती पासायाओ य वामियदिसाओ । ठाविज पिट्ठिमग्गे सव्वेहि जिणालए एवं ॥ ४७ चउवीसतित्थमझे जं एगं मूलनायगं हवइ । पंतीइ तस्स ठाणे सरस्सई ठवसु निन्भंतं ॥ ४८ चउतीस वाम-दाहिण नव पिट्ठी अट्ठ पुरउ देहुरियं । पासाय मूल एगं वावन्नजिणालयं एवं ॥ ४९ ।। पणवीसं पणवीसं दाहिण-बामेसु पिट्टि इक्कारं । दह अग्गे नायव्वं इय वाहत्तरि जिणिंदालं ॥ ५० अंगविभूसणसहियं पासायं सिहरबद्ध-कट्ठमयं । नहु गेहे पूइज्जइ न धरिजइ किंतु जत्त वरं ॥ ५१ जत्त कए पुणु पच्छा ठविज रहसाल अहव सुरभवणे । जेण पुणो तस्सरिसो करेइ जिणजत्त वर संघो ॥ ५२ गिहदेवालं कीरइ दारुमय विमाण पुप्फयं नाम । उववीढ पीढफरिसं जहुत्त चउरंस तस्सुवरें ॥ ५३ चउ थंभ चउ दुवारं चउ तोरण चउ दिसेहि छज्जउडं । पंच कणवीर सिहरं ईंग ति दुवारेग सिहरं वा ॥ ५४ अह भित्ति-छज्ज ओवम सुरालयं आयुसुद्ध कायव्वं । सम चउरंसं गन्भे तस्साउ सवायओ उदए ॥ ५५
१ नालियाउ । २ छजइ । ३ सिलागाउ। ४ सीहदुवारस्स दाहिणदिसाओ। ५ पुट्टि। ६ देहरयं । ७ मूल पासाय। ८ जत्तु। ९ तस्सुवरिं। १० एग दुति बारेग। ११ तत्तो अ सवायओ उदएसु। ।
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