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________________ आंब जंभीरी आंबलोय, केला दाडिम दाख त । वडा बेर बन फल घणा ए, खीप जिहा पदमार य त ।। मारगि वनसपति घणी ए, नंदणवणह मझारि त। मल्लिनाथ जिणवर तणो ए, पूजिय प्रतिमा फार त ॥६॥ गढ गोपाचलि पणमिय ए, सामी नेमि जिणंद त । कोटि नगरि श्री पास जिण, नंदपुरि संति जिणंद त । व्याह नदी सुखि ऊतरिय, दूजी गंगा बाण त । तीजी गंग पाताल तिहां, ऊतरि गरूयइ ताण त ॥७॥ पाज विनायक जब चड्या ए, राणीय सरवर पालि त । कूया-वावि वन जोवता ए, दीसइ नयर विसाल त ॥ दीसइ जिन मंदिर तणो ए, कलस धजा अति चंग त । पणमिय परमाणंद भरे, पहुता नयर सुर चंग त ॥६॥ झरहर झरहर झरहर ए निर्धारण अपार । अंब जब नइ खीरणी ए वन भार अढार ।। बाणगंग जसु वहइ तीरि निरमल जल पूरी। सूवट सारस राजहंस मानिहि संपूरी ॥९॥ गढ - मढ - मंदिर नगरकोटि प्रासाद उतंग। वन-वाडी अभिराम ठाम जिहां जिणहर चंग ।। कूव सरोवर हेम कलस तोरण घण दीपइ । धण कण कंचण पूरीयउ अमरापुरि जीपइ ॥१०॥ सोवनवसइ वीर नाह सोवन सरीरो। रूपचंद राइ थापियउ कंचणगिरि धीरो॥ खरतरवसहो मनह रंगि आदीसर दीठउ । हीयडु हरखिहि उल्हस ए जाणु अमीय पइट्ठउ ॥११॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003821
Book TitleNagarkot Kangada Mahatirth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherBansilal Kochar Shatvarshiki Abhinandan Samiti
Publication Year
Total Pages158
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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