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( १५१ )
वेगवता तिह बांभणी Fst आंबा आंबिली
मनडुं उमाह्यौ मिलवा पुत्र नै रे
सुणि बहिनी पिउड़ौ परदेशी
कुमरी बोलावर कूबड़उ
वि करकंडु आवियउजी
हिवराणी पद्मावती
राम देसउट जाय
धरम हीयइ धरउ
भरत नृप भावस्युं
सुगुण सनेही रे मेरे लाला
राजा नी कुमरी
नणदल री
कपूर हुवइ अति ऊजलो जी
रुकमणि राणी अति विलखाणी
आदर जीव क्षमागुण आदर
नारी अब हम मोकली
दूर दक्षिण कइ देस इ०
प्रतिबूधउ रे
धर्म मलो छइ भावना
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