________________
[
२२५ ]
पूरवइ-पूर्व दिशा में, पूर्ति करना पूरस्यइ पूर्ण करेगा
बकोर-शोर, हल्ला पूरेस्यै पूर्ण करेगा, भरेगा बटका टुकड़ा पेसी-प्रवेश कर
बणस्यै बनेगी पैसतां प्रवेश करते
वधत=वृद्धि पोइण-पद्मिनी, कमलिनी बहिराव्या दान दिया,अर्पित किया पोतानी-अपनी
बारसद्वादसी पोतानउ-अपना
बांकडी-टेढ़ी पोपट-शुक
बारणेद्वार पर पोरस, पोरस्स-घोरुष, बल, पुरुषार्थ बांची-पढ़कर प्रभावना ख्याति
बाडी-बाटिका प्रयुंजइप्रयुक्त करते हैं
बाधइ=बढ़ता है प्रहरण-हथियार
बाधइ बाधा देना प्राहुणा मेहमान, पाहुने
बाजे-लगना
बाबइयै पपीहा फरस्या स्पर्श किया
बारद्वार फलस्यइ-कलेगी
बांभण-ब्राह्मण फाटै (मुंह)=खुले मुंह
बापडा-विचारे फाटै (हृदय )=(हृदय) फटता है बिंब प्रतिमा फिटक रयण स्फटिक रन बिभाड-विभाजक फीट-नष्ट होते हैं
बिवणी दुगुनी फटरा-सुन्दर
बिहूणा-रहित फूभौ=फैल (रूई का)
बीटाणउ वेष्टित फेट-फंदा
बीजा दूसरा फेटि-सम्बन्ध
बीझाय-व्यंजित होना फेड्या-दूर किया
बीहती-डरती हुई फेरवी धुमाकर, घुमाई
| बूठावृष्टि हुई
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org