SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 266
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री उत्तमकुमार चरित्र चौपई २०३ राज प्रजा सुख चैन मां रे, प्रवर्ते दिन राति ; इम द्वादशमी ढाल मां, कहै विनयचन्द्र अवदात ; १३ च्या० ॥हा॥ इण प्रस्तावै समोसस्या, केवलधार मुणिंद ; चित मां अति उच्छक थई, वांदण चाल्यो नरिंद ; १ मुनिवर पासै आविन, वांदे बे कर जोड़ ; धर्म देशना मुनि दियै, मोह तणा दल मोड़ि; २ जगवासी जन सांभलौ, ए संसार असार ; तिहां तन धन यौवन निफल, जातां न लहै वार ; ३ पाम्यौ जनम मनुष्य नौ, आरिज कुल सुनिहाल ; . रयण राशि कवड़ी सटैं, कोई गमावौ आलि ; ४ श्रुत सुणतां अति दोहिलो, राखै तिण मां चित्त ; सहहणा वलि साचवौ, संयम धरि सुपवित्त ; ५ धरम च्यार प्रकार नौ, दान शील तप भाव ; ते दुर्मति छोडीजो, धौ कृतान्त सिर घाव ; ६ जनम मरण दुख छोडि नै, जेम लहो शिवराज ; सांभलि एहवी देशना, हरख्या लोक समाज ; ७ हिव राजा पूछ इसु, स्वामी कहो विचार ; मैं लखमी पामी घणी, राज्य लह्या वली चार ; ८ हुँ वारिधि मांहे पड्यो, मीनोदर रह्यो केम ; गणिका घरि शुक किम थयो, भाखौ जिम छै तेम ;E Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003819
Book TitleVinaychandra kruti Kusumanjali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1962
Total Pages296
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy