SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 229
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ विनयचन्द्रकृति कुसुमाञ्जलि ॥हा॥ आदर मान देई के, कुमर भणी ते राय ; इतला मांहे देखतां, तु हिज आवै दाय ; १ सत्य वचन मुझ आगलै, तूं कुण छै ते भाखि ; एक मनौ मुझ जाणि नै, अंतर मत को राख ; २ हूं तो छं परदेसीयो, स्वामि वयण अवधार ; जाति न जाणु रायजी, रहुं तुम नगर मझार ; ३ पूरी सी जाणु नहीं, नाम तणी मन सार; पेट भराई हुं करूं, कारीगर ने लार ; ४ निज मंदिर मां नृप गयौ, मन धरि एम विचार ; दीसै छै निश्चय सही, ए कोई राजकुमार ; ५ ढाल (१३) चाल :-दस तो दिहाड़ा मोनै छोडि रे जोरावर हाडा, एहनी श्राव्यौ मास वसंत रे रसीयां रो राजा। सुख छ साजा, तरु होइ ताजा जेहनै तूठां रे मौज लहीजीय रे। अधिक पणे ओपंत रे र० मदन तणौ रे मित्र कहीजीय रे ; १ तास थयो प्रारम्भ रे र० थंभ जिसारे तरुवर पालवै रे दुखियां ने दुरलभ रे र० विरही लोकां रै हीयडै सालवै रे ; २ वाजै सीतल वाय रे र० लहरी आवै रे सुरंभ तणी घणी रे; कहतां न वणै काय रे र० सबली रेशोभा वन माहे वणी रे; ३ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003819
Book TitleVinaychandra kruti Kusumanjali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1962
Total Pages296
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy