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________________ १२७ श्री उत्तमकुमार चरित्र चौपई मुझ थी बात कहाणी राज जिण धरमनी बात कुमरजी विषय निजर तुमे नाणी अमे० २ इम कहि बारह कोड़ि रयणनी वरषा करि सुप्रमाणी राजि जिण धरमनी देसण ठाणी मुगति तणी अहिनाणी ३ अ० मन नी कासल छोड़ि गई हिव निज थानकि सुरराणी राज कुमर तणा गुण खिण खिण समरै जास कुमति कमलाणी राज ४ प्रवहण देखि इस इक नैडो नयण तिहां विकसाणी राज सरलै साद कहै रे भाई ल्यो तुम्हे खबर अम्हाणी ; ६ अ० सांभली वाणी पुरुष नी एहवी समुद्रदत्त मन भाणी राज कोइक नो भागो छै वाहण ल्यौ तुमे खबर आफाणी ; ७ अ० सगला नर तिण पासे आवै, देखि धजा लहकाणी राज उत्तमकुमर तिहां निज वातां, भाखी चित्त सुहाणी राज ; ८ अ० कुमर तणा गुण देखि सहूनी, अंतरगति उलसाणी राज हिलमिल वैसि चल्या सायरमां, खूटि गयौ वलि पाणी ; है अ० भर दरीया मांहे ते जल विण, सुं करै प्रीति पुराणी राज तड़क भड़कै भूत थई तसु, बींधइ उदर कृपाणी ; १० अ० निर्यामक कहै शास्त्र निहाली, म करो खांचाताणी राज हिवणा वेलि उतरसी जलनी, धीर धरो तुमे प्राणी ११ अ० प्रगट हुस्यै गिर फिटक रयण माँ, कूपक तिहां सुखदाणी राज जल निरमल ते माहे अछै पिण एहवी बात सुहाणी १२ अ० राक्षस धीठ रहै इण थानक लोक उकति कहवाणी राज आठमी ढाल कहै मनरंगे, विनयचन्द्र गुण खाणी ; १३ अ० Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003819
Book TitleVinaychandra kruti Kusumanjali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1962
Total Pages296
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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