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विनयचन्द्रकृति कुसुमाञ्जलि प्रेम मई कीना हो लाल, जिम मालती भमरी,
हेजइ भीना हो लाल तारौ महिर करी । बहु तपसीना हो लाल, ताहरइ दर्शन पाखइ,
दास अमीना हो लाल, वारई २ स्यु भाखइ ।।३।। तुम्हे प्रवीणा हो लाल, समकित रतन दाता,
देखी दीणा हो लाल, पूरो सुख नइ साता। दुर्जन हीणा हो लाल, ते तउ विमुख करउ,
तुम गुण वीणा हो लाल, सेवक हाथइ धरउ ॥४॥ पद्मरथ नृपति हो लाल, नन्दन गुण निलयो,
__मात सरसती हो लाल, विजया कंत जयो। संख लंछन सोहइ हो लाल, ज्ञानतिलक छाजै,
'विनयचन्द्र' मोहे हो लाल, महिमा महियल गाजै ।।।।
॥ श्री चन्द्रानन स्तवनम् ॥
ढाल-फाग चन्द्रानन जिन चंदन शीतल, दरसण नयण विशेष । वयण सुकोमल सरस सुधारस, सयण हर्षित होइ देख ॥१॥ सोभागी जिनवर सेवियइ हो,
___ अहो मेरे ललना अद्भुत प्रभु रूप रेख ।।आँकणी।। विषय कषाय दवानल केरौ, टालई ताप सजोर। सहज स्वभाव सुचन्द्रिका हो, उल्लसित भविक चकोर ॥२ सो०।।
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