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तेथी ज्ञानी नर-देव सौ राजी छो हो राज,
... पण अंधी दुनिया नाराज रे.. भवना...१० मने परवा नथी अंध जगतनी हो राज,
भले वंदे के करे निंदाज रे"भवना...११ रोमे-रोमे गुंजे मंत्र ताहरो हो राज,
ध्वनि अनहद संगीत-साज रे.. भवना...१२ कथं प्रेम-कथा एक ताहरी हो राज,
जाउं भूली बीजां काम काज रे.. भवना...१३ शेष आयु वीतावी तारी भक्ति मां हो राज,
आयु अंते आवीश तुझ पाज रे.. भवना...१४ त्यां पूण स्वरूप पद पामी ने हो राज,
___ सहजानंद सिद्ध स्वराज रे.. भवना...१५ (४३) श्री सद्गुरु राज प्रार्थना
. राग-मारी झंपड़िये आपो आपो हो गुरुराज ! कृपालु देवा !! आपो आ रंक ने आज, निज पद सेवा ; आपो० प्रत्यक्ष-महाधीर कलियुग केवली, योगिजन अधिराज. कृ० १ ज्ञानावतार करुणा-रस-सागर, भव्य भवोदधि जहाज • कृ० २ भक्त वात्सल्य थी भक्ति आपी ने, तार्या प्रभु श्री लघुराज. • कृ० ३ सोभाग्यमूर्ति सौभाग्यचन्द्र ने,आप्यु समाधि सुख साज "कृ० ४ उद्धर्या जुठाभाई अंबालालादि, कीधा क्षायिक सुख भाज""कृ०५
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