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________________ (२७) श्री जिनदत्तसूरि चरित अष्टपदी ( रचनाकाल - सं० १६६८ ) -: दोहा शासननायक वीर जिन, गणधर गौतम स्वाम 1 बोधि ज्ञान दाता गुरु, करके तास प्रणाम ॥ १ ॥ प्रभाविक अड़ शास्त्र में, उपदेशे वागीश । भद्रबाहु आदिकभये, वैसे दत्त सूरीश ॥ २ ॥ उपगारी गुरुराय को, पद्य चरित बनाय | संक्षेपे श्रोता सुनो, भक्ति भाव जमाय ॥ ३ ॥ श्री जिनदत्तसूरि सुगुरुवर ( २ ) युगप्रधान धुरो सुगुरुवर श्रीजिन० ॥ आंकणी ॥ हुबड़ कुल ज्ञाति दीपक जो, मंत्रीश्वर वाछ्ग श्रावक वो ; -: धवलक रम्य पुरी. सुगुरु ० ॥ १ ॥ बाहड़देवी उदरे आये, ग्यारे बत्तीसे ( ११३२ ) जन्म निपाये ; सोमचंद्र नूरी सुगुरु० ॥ २ ॥ खरतर विरुदी जिनेश्वरसूरि, धर्मदेव पाठक हजूरी ; ... Jain Educationa International राग-भेरवी ... सुगुरु० ॥ ३ ॥ पावे ज्युं लोह तुरी सोमचंद्र वैरागे भीना, ग्यार इकताले ( ११४१ ) दीक्षित कीना; पाई सिद्धान्त भूरी ... सुगुरु० ॥ ४ ॥ For Personal and Private Use Only ४३ www.jainelibrary.org
SR No.003818
Book TitleSahajanand Sudha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandana Karani, Bhanvarlal Nahta
PublisherShrimad Rajchandra Ashram
Publication Year
Total Pages276
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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