________________
(१३) महावीर स्तवन (कच्छी भाषा)
राग-भैरवी कच्छी
मुंके पण तार्यों तार्यो महावीर, भव धरीये जे तीर.. मुंके पण. भव धरीये में आऊं रझडातो, जन्म मोतजा दुखड़ा दसातो; धिल में जोों आँ अधीर ... मुंके पण० ... १ राग द्वेष भरयो आऊँ पूरो, कूड कपट जंजाल में शूरो; न छड्या मिथ्याती पीर ... मुंके पण० ...२ अंडा दुखड़ा दीशी ने ध्रु जातो, तें जीवां आँ अगिया चांतो तोड्यो भव जंजीर ... मुंके पण ......३
आं जेडो ब्यो देव न सुट्ठो, इत उत रझड़ी कोई न दिट्ठो गुणे अयो गंभीर ... मुंके पण ...... ४ सर्प चंडकोशिए तारयां, के जीवें के आंइ उगार्या अंडा प्रभु शूरवीर ... मुंके पण ......५ वाट वतायो मोक्ष विझेजु, उञ्ज भुख नांय बै कुरेजु आँजो भनायो भजीर ... मुंके पण ......६ खायक समकित आश रखांतो, हत्थ जोडी ने इतरो मंगातो 'भद्र' नमाई शिर ... मुंके पण ......७.
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org